हट के हैं ये IIT वाले बाबा, कुंभ वाले जैसे तो बिल्कुल नहीं, अमेरिका में नौकरी के बाद कुंभ में दे रहे ज्ञान

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बनना है महाकुंभ विशेषज्ञ, तो घर बैठे करें सर्टिफकेट कोर्स, शुरू हो गया दाखिला

Last Updated:January 19, 2025, 14:50 ISTआचार्य जयशंकर ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई की और फिर अमेरिका में बस गए. वहां उन्हें अच्छी नौकरी और तमाम भौतिक सुख-सुविधाएं मिलीं, लेकिन संतोष नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने भारत लौटने और संत जैसा जीवन जीने का फैसला किया. उन्होंने बताया…और पढ़ेंसबसे हटकर इस बाबा की कहानी. लखनऊ. प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है और देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आ रहे हैं. वे भारत की संस्कृति, आध्यात्मिकता और अपनी पहचान को जानने और अनुभव करने के लिए संगम नगरी में जुट रहे हैं. कई विदेशी लोग यहां की संस्कृति से प्रभावित होकर यहीं बस जाते हैं, जबकि विदेश में बसे कई भारतीय भी अपनी जड़ों की ओर लौट आते हैं. ऐसे ही एक संत हैं आचार्य जयशंकर, जो पहले अमेरिका में अच्छी नौकरी कर रहे थे, लेकिन भौतिक जीवन में अधूरापन महसूस करने के बाद उन्होंने भारतीय जीवन-दर्शन को अपनाया. आईएएनएस ने आचार्य जयशंकर से खास बातचीत की.

आर्ष विद्या संप्रदाय से आने वाले आचार्य जयशंकर के गुरु स्वामी दयानंद सरस्वती हैं, जिनका आश्रम ऋषिकेश में है. जयशंकर ने आईएएनएस को बताया, “मैं अमेरिका में काम कर रहा था, लेकिन गुरु से मुलाकात के बाद मेरा नजरिया वेदांत की ओर चला गया. मेरे मन में कुछ सवाल थे. तब मैं सोचता था कि हम सब क्या चाहते हैं. सबका जवाब होता है कि हम आनंद, सुख और तृप्ति की चाह रखते हैं. लेकिन हम हर जगह आनंद ढूंढ रहे हैं, जो इस भौतिक जगत में नहीं मिल सकता. मुझे पूर्ण तृप्ति की खोज थी. तमाम भौतिक प्राप्तियों के बावजूद मैंने देखा लोग दुखी हैं.”

उन्होंने कहा कि जब वह अमेरिका गए तो उन्होंने देखा कि वहां भी कोई खुश नहीं था. भारत में लोग मुश्किल जीवन जी रहे थे, तब भी खुश नहीं थे और अमेरिका में सब कुछ आरामदायक था, तब भी वे खुश नहीं थे. लेकिन हमारी संस्कृति में ही मोक्ष की अवधारणा है, जो भारत में ही प्राप्त की जा सकती है. इसके लिए मृत्यु के बाद स्वर्ग जाने की जरूरत नहीं है. इसलिए मैंने अमेरिका के बाद भारत वापस आकर वेदांत की शिक्षा ली और अब मैं लोगों को भी सिखा रहा हूं. अपने गुरु से भारत में पाठन और मनन किया और उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा हूं. भौतिक जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है. जो भी आपको मिलेगा, एक दिन वह चला जाएगा.

आचार्य जयशंकर कहते हैं कि जिंदगी में जो भी खुशी मिलती है, उसमें थोड़ा दुख भी मिला हुआ है. दुख से मिश्रित सुख ही मिल सकता है. उसके बाद वह वस्तु चली जाएगी. इसलिए दुख रहेगा क्योंकि जो मिला है, उसे जाने से आप नहीं रोक सकते हैं. समयकाल में संयोग-वियोग होते ही रहेंगे. ऐसे में सोचना पड़ता है कि जीवन में कुछ नित्य क्या है? देश-काल से अतीत जो है, वही नित्य हो सकता है. शास्त्र हमारे सत्य स्वरूप को दिखाते हैं. यही वेदांत का विषय है. शास्त्र आपको बताते हैं कि आप अनंत हैं, आप ही सत्य ज्ञान स्वरूप हैं. यह ज्ञान प्राप्त करने के बाद आपको आनंद मिल सकता है.

आचार्य जयशंकर ने समाज के नाम संदेश देते हुए कहा, “मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि आप जो भी कर रहे हैं, वह धर्म के अनुसार करना चाहिए. इसलिए हमारे शास्त्र में धर्म को पहला पुरुषार्थ बताया गया है. तो जो भी आप करना चाहते हैं, उसे धर्म के मार्ग पर जाकर ही करना है. जहां धर्म नहीं है, वहां मोक्ष भी नहीं है.”

इसके अलावा उन्होंने अभय सिंह के बयान पर कहा कि हमें यह नहीं देखना चाहिए कि वह नशा करते थे या नहीं. हमें देखना चाहिए कि व्यक्ति किन-किन परिस्थितियों से होकर धर्म की ओर वापसी करता है. अब वह क्या कर रहा है, यह देखना चाहिए. अभी वह एक संत हैं, तो संत हैं. नदी भी बहुत जगह से आती है, लेकिन वह पवित्र हो जाती है. इसी तरह हमारी ऋषियों की भी कहानियां सुनेंगे तो उनका जन्म कैसा हुआ, या उन्होंने संत बनने से पहले क्या किया, वह अहम नहीं है. आपको वाल्मीकि की कथा भी मालूम होगी. भूतकाल में जो हुआ, उसे उधर ही छोड़कर वर्तमान में कोई क्या कर रहा है, वह अहम है.

आचार्य जयशंकर ने कुंभ में सरकार की व्यवस्था पर संतोष जताया. उन्होंने कहा कि यात्रियों के लिए सभी सुविधाएं दी गई हैं. यह एक लाइफ इवेंट जैसा है जिसमें सबको आना चाहिए. यह अपने अंतःकरण को शुद्ध करने के लिए एक बहुत बड़ा मौका है. संत लोगों के साथ रहना, उनका सत्संग करना, स्नान करना, जप करना और जो भी आप करना चाहते हैं. लेकिन इसे पिकनिक और टूरिज्म की तरह नहीं लेना चाहिए. यह आपके आध्यात्मिक उत्थान के लिए है.
Location :Allahabad,Uttar PradeshFirst Published :January 19, 2025, 14:50 ISThomeuttar-pradeshहट के हैं ये IIT वाले बाबा, अमेरिका में नौकरी के बाद महाकुंभ में दे रहे ज्ञान

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