World Homeopathy Day 2025: हर साल 10 अप्रैल को वर्ल्ड होम्योपैथी डे मनाया जाता है क्योंकि 1755 को इसी दिन होम्योपैथी के फाउंडर डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन (Dr. Christian Friedrich Samuel Hahnemann) का जन्म हुआ था, वो जर्मन फिजिशियन थे, जिन्होंने अल्टरनेटिव मेडिसिन का स्यूडोसाइंटिफिक सिस्टम क्रिएट किया. इस दिन को सेलिब्रेट करने का मकसद होम्योपैथी को लेकर अवेयरनेस फैलाना है जिसके बार में अच्छी तरह काफी कम लोग जानते हैं.
होम्योपैथी को लेकर लोग क्या सोचते हैं?इसको लेकर मशहूर होम्योपैथिक फिजीशियन डॉ. मुकेश बत्रा (Dr. Mukesh Batra) ने कहा, “आमतौर पर लोगों की ये सोच है कि जब सारे इलाज फेल हो जाएं, तो होम्योपैथी काम करेगा, लेकिन तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है, और तब तक ट्रीटमेंट मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आपके लिए ये समझना होगा कि डिजीज के अर्ली स्टेज में होम्योपैथी की मदद ली जा सकती है.”
होमयोपैथी के इलाज से दूरी क्यों है?नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी, मिनिस्ट्री ऑफ आयुष, के पूर्व चेयरपर्सन, डॉ. अनिल खुराना (Dr. Anil Khurana) का कहना है कि लोग होमयोपैथी को तभी प्रायोरिटी देंगे जब इसको हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल किया जाएगा. इसकी सबसे बेहतरीन मिसाल यूएई है जहां ये तरीका काफी ज्यादा कामयाब रहा है. भारत की बात करें तो आईआरडीएआई (IRDAI) के पास ये अप्रूवल के फाइनल स्टेज में है, इसको लेकर प्रोटोकॉल भी पेश किए गए हैं. 2 से 3 महीने में हरी झंडी मिल जाएगी. हालांकि ओपीडी के अप्रूवल में अभी और वक्त लग सकता है.
इसका फ्यूचरडॉ. अनिल खुराना का कहना है कि होम्योपैथी में अच्छे रिजल्ट हासिल करने हैं तो कस्टमाइज केयर पर ध्यान देना होगा. अगर किसी इलाज का पुख्ता साइंटिफिक सबूत दिया जाएगा तो भरोसा और ज्यादा बढ़ेगा. सरकार की तरफ से जहां पहले होम्योपैथी का बजट 20 से 30 करोड़ रुपये होता था, अब से 170 से 180 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया है. सरकार इसका बजट तभी बढ़ाएगी जब हम इसको लेकर ज्यादा खर्च करना शुरू करेंगे.
डॉ. मुकेश बत्रा, अनिल खुराना और डॉ. तारकेश्वर जैन (फोटो-ज़ी न्यूज़)
होमयोपैथी को लेकर मिथहोमयोपैथी को लेकर सबसे बड़ा मिथ है कि ये ट्रीटमेंट काफी स्लो है. इस पर होम्योपैथी एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. तारकेश्वर जैन (Dr. Tarkeshwar Jain) का कहना है, “मैं ऐसा नहीं मानता, हां, सिर्फ ये चैलेंज है कि अगर पशेंट अपनी परेशानी को सही तरीके से न बता पाए, साथ ही डॉक्टर को भी ये समझना होगा कि असल दिक्कत कहां है. अगर सही मेडिकेशन होगा तो बेहतरीन रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं.
डॉ. मुकेश बत्रा ने इस मसले पर ज़ी न्यूज से खास बातचीत की
सवाल: होम्योपैथी के बारे में आज भी काफी लोग अवेयर नहीं हैं, कोई भी बीमार होता है तो होम्योपैथी डॉक्टर उसकी पहली च्वॉइस नहीं होती, तो क्या स्कूल लेवल पर बच्चों को इसके प्रति जागरूक करने की कोई कोशिश की जा रही है?
डॉ. बत्रा: ये एक बहुत ही अच्छा आइडिया है, भारत में हम कोशिश कर रहे थे, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं है. लंदन में एक ऑर्गेनाइजेशन है ‘हीलिंग ऑवर अर्थ’, तो उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर मॉरिशस सरकार के साथ मिलकर कहा है कि छठी क्लास में होम्योपैथी के बारे में पढ़ाया जाए, और अल्टरनेटिव हेल्थ जैसे आयुर्वेद और आयुष के बारे में भी बताया जाए. तो काफी कुछ आगे बात की गई है, लेकिन पक्के तौर पर कुछ नहीं हुआ है. आइडिया ये था कि वहां से इस कोशिश को इंडिया में भी आगे बढ़ाया जाए, लेकिन एचआरडी डिपार्टमेंट से कोई अपील नहीं की गई है.
सवाल: भारत में हेयरफॉल के अलावा किस बीमारी या परेशानियों में लोग ज्यादा होम्योपैथिक ट्रीटमेंट ले रहे हैं?
डॉ. बत्रा: लोग सबसे ज्यादा क्रोनिक डिजीज के लिए होम्योपैथिक ट्रीटमेंट ले रहे हैं, जिसे नॉन कम्यूनिकेबल डिसऑर्डर कहते हैं, इसके अलावा आर्थराइटिस, रूमेटाइड आर्थराइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, एलर्जी, अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, सीओपीडी, मेंटल इश्यूज जैसे-डिप्रेशन, एंग्जाइटी और ओसीडी वगैरह.
सवाल: होम्योपैथी किस तरह की स्किन प्रॉब्लम्स में मददगार साबित हो सकती है?
डॉ. बत्रा: कई तरह के स्किन प्रॉबलम्स में होम्योपैथिक ट्रीटमेंट काफी मददगार है, जैसे विटिलिगो (सफेद दाग, सोरायसिस, पिगमेंटेशन, इसके अलावा हजारो त्वचा की परेशानियों का इलाज इसके जरिए किया जा सकता है.
सवाल: जैसा कि आपने बताया कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एन्सेफलाइटिस के मामले होम्योपैथिक ट्रीटमेंट काफी कामयाब रहा था है, ऐसे में गोरखपुर में जहां हर साल असस्त के महीने जैपनीज इंसेफेलाइटिस के केस काफी ज्यादा आते हैं इसमें होम्योपैथी कितना मददगार साबित हो सकता है?
डॉ. बत्रा: इस मामले में होम्योपैथी काफी कामयाब हो सकता है, क्योंकि ‘बेलाडोना’ दवाई के जरिए क्लीनिकल ट्रायल किया गया था, जो एक एंटी-इंफ्लेमेंट्री दवा है, अगर इसे अर्ली स्टेज में दिया जाए तो इसके अच्छे रिजल्ट सामने आ सकते है. सरकार को इसका इस्तेमाल करना चाहिए.
सवाल: कैंसर पेशेंट के लिए होम्योपैथी कितनी मददगार है?
डॉ. बत्रा: होम्योपैथिक ट्रीटमेंट से कैंसर को तो ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन पैलिएटिव केयर दिया जा सकता है, जिससे उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर हो सके. खासकर कीमोथेरेपी के बाद पेशेंट को जो परेशानी झेलनी पड़ती है, उसे कम करने में होम्योपैथी मददगार है. बता दें कि पैलिएटिव केयर एक स्पेशियलाइज्ड मेडिकल सपोर्ट है जिससे लाइलाज बीमारियों से पीड़ित लोगों को मदद मिलती है, जिससे वो बेहतर जिंदगी जी सकें.