How Generic Medicine Are Changing TB Tuberculosis Treatment Worldwide |टीबी के इलाज में जेनेरिक दवाएं कैसे मदद कर रही हैं? ग्लोबल लेवल पर दिख रहा है असर

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How Generic Medicine Are Changing TB Tuberculosis Treatment Worldwide |टीबी के इलाज में जेनेरिक दवाएं कैसे मदद कर रही हैं? ग्लोबल लेवल पर दिख रहा है असर



Generic Medicines For TB: टीबी लंबे समय से एक सीरियस पब्लिक हेल्थ चैलेंज रहा है, खास तौर से भारत जैसे देशों में, जिसने ऐतिहासिक रूप से ग्लोबल टीबी बर्डेन का एक अहम हिस्सा ढोया किया है। हालांकि, जेनेरिक दवाओं की कम कीमत और मौजूदगी का विकास विश्व स्तर पर टीबी के इलाज को बदल रहे हैं, जिससे ज्यादा असरदार और आसान देखभाल की उम्मीद बढ़ रही है.
टीबी के इलाज में मददगारजेनेरिक दवाओं की शुरूआत और प्रसार ने वर्ल्ड लेवल पर टीबी के ट्रीटमेंट में क्रांति ला दी है. डॉ. सुजित पाल ने बताया कि पेटेंट दवाओं के कॉस्ट इफेक्टिव विकल्प प्रदान करके, जेनेरिक दवाओं ने टीबी के उपचार को अधिक सुलभ बना दिया है, खासकर लो और मिडिल इनकम वाले देशों में. इस बढ़ी हुई पहुंच के कारण इलाज शुरू करने की दर में इजाफा हुआ है, क्योंकि वित्तीय बाधाएं काफी कम हो गई हैं. इसके अलावा, सस्ती दवाओं की उपलब्धता ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को संसाधनों को अधिक कुशलता से आवंटित करने में सक्षम बनाया है, जिससे टीबी देखभाल के अन्य पहलुओं, जैसे डायग्नोसिस और पशेंट सपोर्ट सर्विस में बेहतरी आई है.
इंडिया में कामयाबीभारत ने टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में काफी प्रगति की है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, देश की टीबी की बीमारी की दर 2015 में हर 1 लाख आबादी पर 237 से घटकर 2023 में 195 हो गई, जो 17.7% की कमी दर्शाती है. यह कमी इसी अवधि के दौरान 8.3% की ग्लोबल एवरेज में कमी से दोगुनी से भी ज्यादा है. इसके अलावा, भारत में टीबी मृत्यु दर 2015 और 2023 के बीच प्रति 100,000 जनसंख्या पर 28 से घटकर 22 हो गई. इन कामयाबियों ने भारत को 2030 के लिए निर्धारित ग्लोबल टारगेट से 5 साल पहले, 2025 के आखिर तक टीबी को खत्म करने के लिए तैयार किया है.

जेनेरिक दवाओं का प्रोडक्शन बढ़ाभारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज काफी ज्यादा जेनेरिक टीबी मेडिसिन प्रोड्यूज कर रही है, जिससे इस बीमारी का इलाज गरीबी और मिडिल क्लास के लिए आसान होता जा रहा है. टीबी के अलावा कैंसर और रिस्पिरेटरी डिजीज में भी जेनेरिक दवाएं काफी मददगार साबित हो रही हैं. 
आगे की चुनौतियां
इन प्रगति के बावजूद, टीबी को खत्म करने की कोशिशों में चुनौतियाँ बनी हुई हैं. पेटेंट और लाइसेंसिंग मुद्दे खास क्षेत्रों में कुछ जेनेरिक दवाओं की उपलब्धता को सीमित करते हैं, जिसके लिए व्यापक पहुंच के लिए लगातर एडवोकेसी की जरूरत होती है. इसके अलावा, टीबी का जल्द और सही डायग्नोसिस अहम है. इस तरह, वक्त पर इलाज शुरू करने के लिए डायग्नोसिक टेक्निक में निवेश दवाओं की उपलब्धता के साथ होना चाहिए. कलंक से निपटने और लोगों को वक्त पर देखभाल के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक जागरूकता अभियान भी जरूरी हैं.



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