ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने रेडियोथेरेपी के बाद कैंसर कोशिकाओं के मरने की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने में सफलता हासिल की है. उन्होंने एक नई रिसर्च में यह पता लगाया है कि डीएनए की मरम्मत कैसे यह निर्धारित करती है कि कैंसर कोशिकाएं रेडियोथेरेपी के बाद कैसे मरती हैं. इस शोध से कैंसर के इलाज में सुधार की संभावना है और इलाज की सफलता दर को बेहतर बनाने के रास्ते भी खुल सकते हैं.
सिडनी के चिल्ड्रन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआई) के वैज्ञानिकों ने लाइव सेल माइक्रोस्कोप तकनीक का उपयोग करके इस प्रक्रिया का अध्ययन किया और पाया कि डीएनए मरम्मत की प्रक्रिया रेडियोथेरेपी से प्रभावित कोशिकाओं को सही तरीके से नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस खोज से कैंसर के इलाज के नए तरीके विकसित हो सकते हैं और इससे इलाज में सफलता की संभावना बढ़ सकती है.
डीएनए मरम्मत की प्रक्रिया
सीएमआरआई के वैज्ञानिकों ने लाइव सेल माइक्रोस्कोप तकनीक का उपयोग करते हुए रेडियोथेरेपी से प्रभावित कोशिकाओं पर एक सप्ताह तक रिसर्च की. इस शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने यह पाया कि रेडियोथेरेपी से डीएनए में होने वाली क्षति को मरम्मत करने वाली प्रक्रिया “होमोलॉग्स रीकॉम्बिनेशन” से ठीक किया जा सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान, कैंसर कोशिकाएं प्रजनन (सेल डिवीजन) के दौरान मर जाती हैं.
नवीन उपचार के लिए संभावनाएं
इस शोध ने यह भी दिखाया कि रेडिएशन से क्षतिग्रस्त डीएनए से निपटने के लिए अन्य मरम्मत विधियां मौजूद हैं, जिससे कोशिकाएं विभाजन से बच जाती हैं और डीएनए रिपेयर बाइप्रोडक्ट्स को रिलीज करती हैं. ये बाइप्रोडक्ट्स वायरस या बैक्टीरियल संक्रमण के समान दिखते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम सतर्क हो जाता है और कैंसर कोशिका को नष्ट करने के लिए प्रतिक्रिया करता है.
इलाज में होगा सुधार
सर्वेक्षण से यह भी साबित हुआ कि “होमोलॉग्स रीकॉम्बिनेशन” को रोकने से कैंसर कोशिकाओं का मरने का तरीका बदल सकता है, जिससे इम्यून प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है. यह खोज उन दवाओं के उपयोग की संभावना खोलती है जो इस मरम्मत प्रक्रिया को रोक सकती हैं और कैंसर कोशिकाओं को इस प्रकार मरने के लिए मजबूर कर सकती हैं कि इम्यून सिस्टम उसे पहचान सके और नष्ट कर सके.
एजेंसी