How Diet Supports Cancer Treatment: टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और मशहूर राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल में ही दावा किया है कि कार्बोहाइड्रेट्स और शुगर छोड़कर, साथ ही हल्दी और नीम का सेवन करके उनकी वाइफ ने कैंसर को मात दे दी. हालांकि आइसीएमआर समेत कई हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक कैंसर का ट्रीटमेंट बिना सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के मुमकिन नहीं है, फिर भी ये जानना जरूरी है कि इस खतरनाक बीमारी के इलाज में डाइट का कितना रोल हो सकता है.
My wife is clinically cancer free today ….. pic.twitter.com/x06lExML82
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) November 21, 2024
कैंसर के ट्रीटमेंट में डाइट का सपोर्ट
डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा (Dr. Mandeep Singh Malhotra), डायरेक्टर ऑफ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल दिल्ली, ने बताया कि हेल्दी डाइट कैंसर के इलाज का एक अहम हिस्सा है क्योंकि ये सेल्स के रिपेयर और रिकवरी के लिए जरूरी एनर्जी और न्यूट्रीएंट देता है. कैंसर सेल्स हाई मेटाबॉलिक एक्टिविटी शो करते हैं, जो अक्सर ग्लूकोज को प्राइमरी एनर्जी सोर्स के तोर पर इस्तेमाल करते हैं. लो-ग्लाइसेमिक डाइट शुगर की मौजूदगी को कम कर सकता है, संभावित रूप से कैंसर के प्रोग्रेस को स्लो कर सकता है, खास तौर से ग्लूकोज-डिपेंडेंट कैंसर जैसे हार्मोन-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर में. इसके अलावा, हल्दी और बर्बेरीन जैसे न्यूट्रास्यूटिकल्स, नेचुरल सोर्स से हासिल, कई कैंसर के रास्तों को टारगेट करते हैं, और कंवेंशनल थेरेपीज के असर को बढ़ाते हैं. एक बैलेंस्ड डाइट ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट्स को कम करने, इम्यूनिटी को सपोर्ट करने और ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे पेशेंट ट्रीटमेंट को बेहतर तरीके से रिस्पॉन्ड करते हैं.
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डाइट को लेकर सलाह
कैंसर के मरीजों को एनर्जी की जरूरतों को सपोर्ट करने और कैंसर सेल्स के ग्रोथ को कम करने के लिए प्रोटीन, हेल्दी फैट और लो-ग्लाइसेमिक कार्बोहाइड्रेट से भरपूर डाइट अपनानी चाहिए. हल्दी, जामुन, नट्स और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे एंटी-इफ्लेमेंट्री फूड आइटम्स को शामिल किया जाना चाहिए. हल्दी, अश्वगंधा और बर्बेरीन जैसे न्यूट्रास्यूटिकल्स खास कैंसर पाथवेज पर निशाना लगाते हुए इलाज के पूरक हो सकते हैं. हाइड्रेटेड रहना और प्रोसेस्ड या शुगर रिच फूड्स से बचना जरूरी है. डाइट प्लान को कैंसर के टाइप और स्टेज के आधार पर तैयार किया जाना चाहिए, मेटाबॉलिक जरूरतों के साथ एलाइनमेंट सुनिश्चित करना चाहिए. रोगियों को एक पर्सनलाइज्ड अप्रोच के लिए अपने ऑन्कोलॉजिस्ट और डाइटीशियन के साथ मिलकर काम करना चाहिए.
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कैंसर के इलाज में न्यूट्रीशन का इंटीग्रेशन
न्यूट्रीशन हॉलिस्टिक कैंसर केयर की एक बेस है, जो कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसे इलाज का पूरक है. ये मरीज की एनर्जी की जरूरतों को अड्रेस करता है, इम्यून फंक्श को बढ़ाता है, और सूजन को कम करता है. पोषण से जुड़ी रणनीतियां, जिनमें अनुकूलित आहार और न्यूट्रास्यूटिकल्स शामिल हैं, कैंसर के विकास को धीमा करके और फिस से होने के रिस्क को कम करके ट्रीटमेंट के रिजल्ट को बेहतर बना सकती हैं. मिसाल के तौर पर हल्दी या बर्बेरीन जैसे सप्लिमेंट्स को इंटीग्रेट करने से पारंपरिक उपचारों के साथ कैंसर मार्गों को टार्गेट किया जा सकता है. ऑन्कोलॉजिस्ट, न्यूट्रीशनिस्ट और देखभाल करने वालों की भागीदारी वाला एक मल्टीडिसिप्लीनरी अप्रोच सुनिश्चित करता है कि डाइट से जुड़ी सलाह सुरक्षित, असरदार और पेशेंट के मेडिकल कंडीशन और ट्रीटमेंट प्लान के हिसाब से हों.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)
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