दिल हमारे शरीर का केंद्रीय बिजलीघर है, जो पूरी बॉडी में बिना थके खून पहुंचा है. हालांकि, समय के साथ और विभिन्न कारणों के चलते दिल की सेहत पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. इनमें से एक है हाई ब्लड प्रेशर, जिसे आमतौर पर हाइपरटेंशन के नाम से जाना जाता है. यह नसों की दीवारों के खिलाफ खून के दबाव के लगातार अधिक दबाव को संदर्भित करता है, जिससे खून पंप करने में दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इसे अक्सर ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह आमतौर पर तब तक कोई लक्षण नहीं दिखाता है जब तक कि यह महत्वपूर्ण डैमेज नहीं पहुंचाता है. दिल की बीमारी को रोकने के लिए हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना महत्वपूर्ण है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त केवल लगभग 12 प्रतिशत लोगों का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में है. अनियंत्रित ब्लड प्रेशर दिल के मरीजों के लिए मुख्य रिस्क फैक्टर में से एक है और भारत में कुल मौतों का एक तिहाई हिस्सा है. हाई ब्लड प्रेशर कई तरह के कारणों से हो सकता है जैसे उम्र, जेनेटिक दिक्कतें, मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, नमक से भरपूर डाइट और अत्यधिक शराब व तंबाकू का सेवन. हालांकि, जीवनशैली में बदलाव फायदेमंद हो सकते हैं. डैस डाइट ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.
क्या है डैस डाइट?डैस डाइट (Dietary Approaches to Stop Hypertension) हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए आहार का एक तरीका है. यह आहार फल, सब्जियां, साबुत अनाज, कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट, मछली, बीन्स और मेव पर जोर देता है और सेचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम के सेवन को कम करता है. डैस डाइट के अन्य फायदे हैं– खराब कोलेस्ट्रॉल कम करना- ब्लड शुगर लेवल को कम करना- वजन कम करने में मदद करना- दिल की बीमारी, स्ट्रोक और अन्य पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करना
डैस डाइट में क्या खाएं?डैस डाइट का पालन करना आसान है. आप अपने नियमित आहार में कुछ छोटे बदलाव करके शुरू कर सकते हैं, जैसे कि अधिक फल और सब्जियां खाना, कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का चुनाव करना और कम सेचुरेटेड फैट और सोडियम वाले फूड का सेवन कम करना. नीचे डैस डाइट के कुछ टिप्स हैं– हर दिन कम से कम पांच सर्विंग फल और सब्जियां खाएं.- साबुत अनाज, जैसे कि ब्राउन राइस और क्विनोआ, का चयन करें.- कम फैट वाले डेयरी उत्पाद, जैसे कि स्किम दूध और कम फैट वाला दही, का चयन करें.- मछली, बीन्स और मेव का सेवन करें.- सेचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट और कोलेस्ट्रॉल के सेवन को कम करें.- नमक का सेवन सीमित करें.- भरपूर मात्रा में पानी पिएं.