रजनीश यादव/ प्रयागराज: अपने अंत:वासियों को उच्च पदों पर आसीन करने वाले हॉलैंड हाल छात्रावास का अपना एक स्वर्णिम इतिहास रहा है.इसी इतिहास को एक पुस्तक में समेटने के लिए चार पीढ़ी के 56 अंत:वासियों ने मिलकर एक पुस्तक की रचना की. जिसका नाम रखा स्मृतियों का वातायन.अंतर्वासी इसमें अपने गुजरे हुए पल इस बुक में लिखकर आने वाली पीढियां के लिए एक मिसाल दिया की वह इस छात्रावास में किस प्रकार अपने दिन गुजारे और क्या कुछ सीखा.इस पुस्तक में अधिकतर लेखक पहले आईएएस आईपीएस पूर्व मुख्यमंत्री मुख्य सचिव और राज्यपाल भी रह चुके हैं. जो अपने जीवन में छात्रावास के योगदान को बताएं हैं.
हॉलैंड हाल पहले एक कोर्ट हुआ करता था. यहइलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुराने छात्रावास में से एक है. किसी छात्रावास के कमरा नंबर 8 से भगत सिंह को भी जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि भगत सिंह क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कमरा नंबर 8 में ही रह रहे अपने मित्र से मिलने आया करते थे. यही बैठकर क्रांति से जुड़ी गतिविधियों को योजना बंद किया जाता था. जोहॉललैंड हॉल छात्रावास है यह विश्वविद्यालय में अपना योगदान बढ़कर देता रहा है.
स्मृतियों के वातायन में कौन-कौन है शामिल
इस पुस्तक को लिखने में नागालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री, रेलवे के मुख्य वित्तीय सलाहकार एस सी नजीर, उत्तराखंड के सचिव रहे चंद्र सिंह नपलच्याल, हिंदी विभाग के विभाग अध्यक्ष रहे डॉ रामकुमार वर्मा, चार राज्यों के राज्यपाल आदि हैं. वही किताब के संयोजक रिटायर्ड कमिश्नर हर्ष महान कैरे, जबकि संपादक हिंदी विभाग के विभाग अध्यक्ष मुस्ताक अली अहमद व मधुसूदन रहे.
अपने घर का ही नाम रख दिया हॉलैंड हाल
हॉलैंड हाल के पूरा छात्र रहे अंबेडकर नगर के अमित कुमार ने अपने नए आशियाने का नाम ही हॉलैंड हाल रख दिया. अमित बताते हैं कि वह अपने अंदर एक हॉलैंड हाल लेकर घूमते हैं. इसमें बीते हुए पल एकदम अनबीता सा लगता है.गृह प्रवेश के समय हॉलैंड हाल के कई पूरा छात्र उनके यहां पहुंचे. जिसका सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण था कि घर का नाम ही हॉलैंड हाल रख देना.
.Tags: Local18, Prayagraj News, UP newsFIRST PUBLISHED : September 24, 2023, 16:53 IST
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