रिपोर्ट: कृष्ण गोपाल द्विवेदी
बस्ती: हिंदू संस्कृति में होली दहन का अपना विशेष महत्व है. होलिका दहन के दौरान पूजा पाठ करने से मनुष्य के सभी दुखों का नाश होता है. साथ ही साथ घर में सुख शांति और समृद्धि भी आती है. लेकिन होलिका दहन में हरे पेड़ों व पत्तियों के प्रयोग करने से पर्यावरण प्रदूषण तेजी से फैलता है.
इसलिए अब स्वयंसेवी संस्थाओं और जिला प्रशासन की पहल पर लोग होलिका दहन में लकड़ियों का ढेर लगाने के बजाय गाय के कंडे यानी उपले का इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे हैं. इससे पशुपालकों की आय भी बढ़ रही है. जिले में इस बार होलिका दहन को पूरी तरह से इको फ्रेंडली बनाने का प्लान है.
मार्केट में कंडे की खूब डिमांडजिस प्रकार से गाय के उपले की डिमांड बढ़ रही है, इससे पर्यावरण का संरक्षण और लोगों को स्वास्थ्य लाभ तो मिलेगा ही गाय पालने वाले किसानों की आय भी बढ़ेगी. वे गाय के गोबर से कंडा बनाकर उसे बेच कर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं. मार्केट में गाय के कंडे का रेट साइज के हिसाब से 10-20 रुपये तक है. इसकी डिमांड सबसे ज्यादा है.
बढ़ रही आयबाबुंदर यादव ने बताया की पहले वो गाय के गोबर को एक जगह संरक्षित करके मामूली रेट में उसको किसानों को बेच देते थे, जिसका इस्तेमाल किसान खाद के रूप में अपने खेतों में करते थे, लेकिन जबसे होली पर कंडे की डिमांड बढ़ी है तब से अब हम लोग उससे उपले बनाकर डिमांड के हिसाब से लोगों को बेच रहे हैं, जिससे आय भी हो रही है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Basti news, Holika Dahan, UP newsFIRST PUBLISHED : March 06, 2023, 21:30 IST
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