हिंदी से ऐसा इश्क कि बदल दिया बोर्ड, अब इस बड़ी यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर बनीं गाजीपुर की सौम्या

admin

बिल्ली काटने पर क्या करें? घर पर पहले ऐसे करें इलाज, फिर लगेंगे इतने इंजेक्शन

Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:February 09, 2025, 22:11 ISTGhazipur News Today in Hindi: एक तरफ जब बहुत सारे लोग अंग्रेजी भाषा को महत्व दे रहे हैं वहीं कई लोग ऐसे हैं जिन्हें हिंदी भाषा से बहुत लगाव है.X

हिंदी से प्यार ऐसा कि बदल लिया बोर्ड! सौम्या मिश्रा की कहानी हर हिंदी लवर के लिएगाजीपुर: किसी भी भाषा को लेकर सभी के अपने इमोशन और लगाव होते हैं. भाषा के लगाव वाले ऐसे-ऐसे लोग हैं कि अपना बोर्ड तक बदल दिया. ऐसा ही कारनामा गाजीपुर की सौम्या मिश्रा ने कभी किया था. आज सौम्या के उस कारनामे की चर्चा इसलिए खास है क्योंकि वह आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर बनी हैं. जब वो सीबीएसई बोर्ड में थीं तब कहानियों से उनका ऐसा लगाव हुआ कि उन्होंने सिर्फ हिंदी पढ़ने के लिए बोर्ड बदल लिया और यूपी बोर्ड में एडमिशन ले लिया. जीजीआईसी गाजीपुर में पढ़ाई के दौरान साइंस और मैथ्स की टर्मिनोलॉजी शुरू में उन्हें भारी लगी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने खुद को एडजस्ट कर लिया. उनके परिवार ने भी पूरा सपोर्ट किया और कभी किसी विषय को लेकर कोई दबाव नहीं डाला.

बीएचयू का एक्सपीरियंस: 40+ प्रोफेसरों की एक-एक क्लास और खुद की जिम्मेदारीसौम्या ने राजकीय महिला डिग्री कॉलेज, गाजीपुर से ग्रेजुएशन किया. वहां हिंदी के प्रोफेसर निरंजन सर उनके लिए बैकबोन बने. उनकी गाइडेंस में सौम्या ने निबंध और व्याख्यान प्रतियोगिताओं में ज़िलास्तर पर टॉप किया. इसके बाद उन्होंने बीएचयू से पोस्ट ग्रेजुएशन किया जहां 40 से ज्यादा प्रोफेसर थे. यहां हर हफ्ते सिर्फ एक दिन क्लास होती थी. सौम्या ने खुद को इस सिस्टम में ढाला और अकेले रहकर खुद खाना बनाती थी और साथ ही पढ़ाई भी की. इसके साथ ही उन्होंने नेट-जेआरएफ की तैयारी भी की.

नेट-जेआरएफ क्रैक करने का मंत्र और हिंदी से जुनूनलोकल 18 से बातचीत में सौम्या ने बताया कि नेट-जेआरएफ क्लियर करने के लिए सबसे जरूरी है मूल टेक्स्ट पढ़ना. हिंदी के लिए गोविंद पांडे और दृष्टि की किताबें बेहद फायदेमंद साबित हो सकती हैं. सौम्या ने बताया कि नेट जेआरएफ का सिलेबस बहुत ही गहरा होता है जो एक दिन में नहीं पढ़ा जा सकता. इसके लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत है. उनका रिसर्च विषय “रीति मुक्त काव्य धारा, समाज और संस्कृति (ठाकुर और आलम के विशेष संदर्भ में)” है. सौम्या का मानना है कि इन कवियों ने शानदार काम किया, लेकिन उन्हें वो पहचान नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे.

निराला की कविता बनी ताकतजब भी सौम्या खुद को असहाय महसूस करती हैं तो सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की “राम की शक्ति पूजा” उन्हें बूस्ट अप कर देती है. इसके अलावा रामधारी सिंह दिनकर की “रश्मिरथी” और “उर्वशी” जैसी कविताएं भी उनकी प्रेरणा का माध्यम रही हैं.
Location :Ghazipur,Uttar PradeshFirst Published :February 09, 2025, 22:11 ISThomeuttar-pradeshहिंदी से इश्क में बदल दिया बोर्ड, अब यहां रिसर्च स्कॉलर बनी गाजीपुर की सौम्या

Source link