हाथों से निकल रहा खजाना…15 हजार साल जो चीज रही सुरक्षित, उसे हम नहीं बचा पा रहे

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हाथों से निकल रहा खजाना...15 हजार साल जो चीज रही सुरक्षित, उसे हम नहीं बचा पा रहे

Last Updated:March 07, 2025, 22:22 ISTMural Paintings Sonbhadra : यहां की गुफाओं में हजारों साल पुराने भित्ति चित्र नष्ट होने की कगार पर हैं. ये चित्र हमारे पूर्वजों की अद्भुत निशानी हैं जिन्हें सही से सहेजा नहीं जा रहा है.X

आखिर क्यों नहीं हो पा रहा देस की इस धरोहर का संरक्षणहाइलाइट्ससोनभद्र की गुफाओं के भित्ति चित्र नष्ट होने की कगार पर हैं.15 हजार वर्ष पुराने ये चित्र मानव के विकास को दर्शाते हैं.संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग और राज्य संग्रहालय प्रयास में जुटे.सोनभद्र. हजारों साल पुरानी चीजों के बारे में जानने के लिए इंसानों ने कई तरीके खोजे हैं. लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिनसे तब के मानवों से आज का इंसान बात कर सकता है. गुफाओं के भित्ति चित्र ऐसा ही एक जरिया है, जो हमें हजारों साल पहले के बारे में बताता है. दुर्भाग्य से सोनभद्र के जिला मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर पंचमुखी पहाड़ी पर स्थित गुफाओं में हजारों साल पहले आदिमानव के बनाए भित्ति चित्र नष्ट होने की कगार पर हैं. पंचमुखी पहाड़ी पर कुल 16 गुफाएं हैं. ये भित्ति चित्र एक युग के बारे में बताते हैं, लेकिन संरक्षण न होने कारण इन पर संकट मंडरा रहा है. वैसे तो पुरातत्व विभाग ने भित्ति चित्रों के बारे में जानकारी देते हुए एक बोर्ड लगाया है, लेकिन इसके अलावा संरक्षण और सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया है.

पंचमुखी पहाड़ी विंध्य-कैमूर पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है. यहीं विश्व के प्राचीन भित्ति चित्र पाए गए हैं. एक अनुमान है कि ये पेंटिग्स 10 से 15 हजार वर्ष पुरानी हैं. इन गुफाओं में आदिमानव ने जानवरों और फूलों के चित्र उकेरे हैं. ये चित्र मानव जीवन के विकास के क्रम को दर्शाते हैं. ये बताते हैं कि तब का जीवन कैसे आगे बढ़ा और उस समय का काल कैसा था.

धीरे-धीरे नष्ट हो रहा समय

स्थानीय लोगों और पर्यटकों का कहना है कि यहां के भित्ति चित्र काफी प्राचीन हैं, लेकिन धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं. कुछ लोगों ने इन्हें घिसकर नष्ट कर दिया है. कुछ लोग गुफाओं में आग जलाकर खाना पकाते हैं, धुएं के कारण भी ये चित्र धूमिल हो रहे हैं. कुछ स्थानीय ग्रामीण इन गुफाओं को किदवंतियों से भी जोड़ते हैं. स्थानीय कथाओं में कहा जाता है कि बलिया से यहां पर एक वीर नायक लोरिक आया था, जिसने चोपन क्षेत्र में सोन नदी पार करके आग़ोरी किले को जीता था और राजकुमारी मंजरी से ब्याह करके वापस चला गया था. उसी के साथ आए बारातियों ने इन चित्रों को बनाया था.

क्या बोले डीएम

सोनभद्र के जिलाधिकारी बद्रीनाथ सिंह कहते हैं कि ये चित्र मानवता की अमूल्य धरोहर हैं. यहां 10 से 15 हजार वर्ष पहले आदिम लोगों ने अपने विचारों को पेंटिंग्स के रूप के उकेरा है. इनके संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारी यहां आए थे, जो इन पेंटिंग्स को चित्र के रूप में संरक्षित करना चाहते हैं. आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और राज्य संग्रहालय लखनऊ की मदद से इनके संरक्षण और सुरक्षा का प्रयास किया जा रहा है.
Location :Sonbhadra,Uttar PradeshFirst Published :March 07, 2025, 22:22 ISThomeuttar-pradesh15 हजार साल जो चीज रही सुरक्षित, हमारी हाथों से निकल रहा वो खजाना

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