हाथों से बना कन्नौज का इत्रदान आज भी है बेमिसाल, शीशम की लकड़ी से होता है तैयार

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हाथों से बना कन्नौज का इत्रदान आज भी है बेमिसाल, शीशम की लकड़ी से होता है तैयार



अंजली शर्मा / कन्नौज. कम कीमत में मिलने वाले यह इत्र दान ऊपर से देखने से बड़े ही आकर्षित लगते हैं, लेकिन कन्नौज में बने लकड़ी के इत्रदान आज भी बेमिसाल है. इत्रदान शब्द की शुरुआत कन्नौज से ही हुई है. शुरुआत में जब कन्नौज इत्र की खुशबू के लिए जाना जाता था तब ये पैकेजिंग पर आ कर रुक जाता था. ऐसे में कन्नौज के ही कारीगरों ने सैकड़ो साल पहले शीशम की लकड़ी में पीतल के तारो से नक्काशी करके इसको बनाया था. आज सहारनपुर सहित कई अन्य राज्यों से इत्रदान आ रहे है. इन इत्रदानों में कच्ची लकड़ी का प्रयोग होता है. जिस कारण दाम कम होते है. लेकिन उसमें वो क्वालिटी नही है, जो खूबसूरती और क्वालिटी कन्नौज के इत्रदानों में है.

यहां के इत्रदान शीशम की लकड़ी और उसके ऊपर पीतल के तार की कारीगरी का जबरदस्त नमूना है. कारीगर इसको अपने हाथ से बनाते हैं. इसमें किसी भी तरह की मशीन का प्रयोग नहीं होता है. कड़ी मेहनत के बाद एक इत्रदान तैयार होता है, जिस कारण यह मार्केट में थोड़ा महंगा बिकता है.

आज भी सबसे अलग है कन्नौज के इत्रदानों की खूबसूरती

इत्र व्यापारी निशिष तिवारी बताते हैं कि कन्नौज जैसा इत्रदान आपको पूरे भारत में कहीं और नहीं मिलेगा. कन्नौज के कारीगरों द्वारा सैकड़ों साल पहले इस इत्रदान की शुरुआत की गई थी. लेकिन समय बदला और आधुनिकता का दौर आगे बढ़ा, जिस कारण इत्र के साथ इत्रदानों की मांग बढ़ी. लेकिन कन्नौज में बनने वाला इत्रदान शीशम की लकड़ी और पीतल के तारों का विशेष प्रयोग होता है, जो कि अब बहुत कम मिल पाती है. ऐसे में सहारनपुर और राज्यों से आने वाले कच्ची लकड़ी के इत्रदानों को हम लोगों को लेना पड़ता है. लेकिन कन्नौज और बाहरी इत्रदानों में कल भी एक बड़ा फर्क था और आज भी एक बड़ा फर्क है. खूबसूरती के मामले में कन्नौज के इत्रदानों का कोई भी जोड़ नहीं है.
.Tags: ITR, Kannauj news, Latest hindi news, UP newsFIRST PUBLISHED : May 30, 2023, 16:30 IST



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