Happy people sleep less while sad people sleep more science reveal the unique secret of the brain | खुश लोग कम सोते हैं, उदासी में आती है ज्यादा नींद! साइंस ने बताया दिमाग का अनोखा राज

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Happy people sleep less while sad people sleep more science reveal the unique secret of the brain | खुश लोग कम सोते हैं, उदासी में आती है ज्यादा नींद! साइंस ने बताया दिमाग का अनोखा राज



क्या आपने कभी गौर किया है कि जब आप खुश होते हैं, तो कम नींद में भी तरोताजा महसूस करते हैं, लेकिन जब आप उदास होते हैं, तो बिस्तर से उठने का भी मन नहीं करता? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं! हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि खुश रहने वाले लोगों को कम नींद की जरूरत होती है, जबकि उदासी महसूस करने पर ज्यादा सोने की इच्छा होती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारी भावनाएं हमारे दिमाग और नींद की जरूरतों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, नींद की मात्रा और गुणवत्ता हमारे मेंटल हेल्थ से गहराई से जुड़ी होती है. खुश रहने वाले लोगों का दिमाग अधिक एक्टिव रहता है और वे कम नींद में भी ऊर्जावान महसूस करते हैं. दूसरी ओर, जब कोई व्यक्ति दुखी या उदास होता है, तो उसका दिमाग अधिक आराम मांगता है, जिससे सोने की इच्छा बढ़ जाती है.
डॉ. अजय वर्मा बताते हैं कि खुशी के दौरान हमारा शरीर ज्यादा डोपामाइन और सेरोटोनिन हार्मोन रिलीज करता है, जो हमें ऊर्जावान बनाए रखता है. ऐसे में कम नींद लेने पर भी हमें थकान महसूस नहीं होती. वहीं, जब हम उदास होते हैं, तो शरीर कोर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) का लेवल बढ़ा देता है, जिससे हम सुस्त महसूस करने लगते हैं और ज्यादा सोने का मन करता है.
खुश लोगों को क्यों कम नींद की जरूरत होती है?* पॉजिटिव एनर्जी: खुश रहने वाले लोग मानसिक रूप से ज्यादा एक्टिव होते हैं, जिससे वे कम सोकर भी तरोताजा महसूस करते हैं.* बेहतर नींद की क्वालिटी: खुशहाल दिमाग तेजी से गहरी नींद के चरण (REM sleep) में पहुंच जाता है, जिससे कम समय में ही अच्छी नींद मिल जाती है.* तनाव का कम प्रभाव: स्ट्रेस फ्री जीवन जीने वाले लोगों को अनिद्रा की समस्या कम होती है, जिससे वे कम नींद में भी ऊर्जावान रहते हैं.
उदासी में क्यों आती है ज्यादा नींद?* ब्रेन का डिफेंस मैकेनिज्म: जब हम उदास होते हैं, तो हमारा दिमाग ज्यादा आराम मांगता है, जिससे नींद की अवधि बढ़ जाती है.* एनर्जी की कमी: नेगेटिव इमोशन्स हमारी एनर्जी को खत्म कर देते हैं, जिससे शरीर ज्यादा सोने की जरूरत महसूस करता है.* मूड सुधारने की कोशिश: नींद दिमाग को रिलैक्स करने का नेचुरल तरीका है, जिससे उदासी में नींद बढ़ सकती है.
कैसे रखें अपनी नींद और भावनाओं को बैलेंस?* रोजाना एक्सरसाइज और मेडिटेशन करें, ताकि दिमाग में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे.* सोने का नियमित समय तय करें और बहुत ज्यादा या बहुत कम सोने से बचें.* अपने जीवन में खुशियों को बढ़ाने की कोशिश करें, क्योंकि इससे नींद की जरूरत भी बैलेंस में रहती है.* तनाव और निगेटिविटी से दूर रहें, क्योंकि यह आपकी नींद को अनियमित बना सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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