वाराणसी: रामभक्त हनुमान को बजरंगबली, संकट मोचन, महावीर जैसे नामों से जाना जाता है. पूरे देश में हनुमानजी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार 6 अप्रैल यानी चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन रामभक्त हनुमानजी की जयंती मनाई जाएगी. लेकिन, आपको बता दें कि साल में दो बार हनुमत लला का जन्मोत्सव मनाए जाने की परंपरा है. इसे लेकर अलग-अलग धार्मिक पुस्तकों में अलग-अलग तरह की बातें लिखी हुई हैं.काशी के विद्वान पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि साल में दो बार हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाने के पीछे भी दिलचस्प कहानी है. धार्मिक कथाओं के मुताबिक, हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था. वाल्मीकि के रामायण में इस बात का उल्लेख भी है. वहीं दूसरा उनका जन्मदिन चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसके पीछे भी पौराणिक कथा है. इन सब के अलावा हनुमत उपासना कल्पत नाम के ग्रथ में हनुमानजी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को ही बताया गया है.देवताओं ने दिया था वरदानपंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती मनाने के पीछे कथा है कि एक बार हनुमानजी सूर्य को फल समझकर निगल गए थे. उस वक्त जब हाहाकार मचा तो इंद्र ने अपने वज्र से प्रहार कर दिया. हनुमानजी को अचेत हो गए. इससे पवन देव नाराज हो गए और पूरे संसार की वायु रोक दी. जिसके बाद सभी देवी देवताओं ने उन्हें मनाया और हनुमानजी को नया जीवन देकर उन्हें अनेक वरदान दिए. यह समय चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि थी. इसी वजह से चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को उनका जन्मदिन मनाया जाता है.वाल्मीकि रामायण में ये उल्लेखआगे बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मेष लग्न और स्वाति नक्षत्र में मंगलवार के दिन माता अंजनी के कोख से हनुमानजी का जन्म हुआ था. वाल्मीकि रामायण के अलावा गीता प्रेस के व्रत-पर्वोत्सव पुस्तक में इसका उल्लेख मिलता है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : April 03, 2023, 19:47 IST
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