आदित्य कृष्ण/अमेठी. हादसे में आंखें गंवा चुके चंद्रशेखर शुक्ला भले ही दिव्यांग हैं, लेकिन इनका जज्बा आज भी दृष्टि बाधित बच्चों में ज्ञान और जीवन का प्रकाश फैला रहा है. चंद्रशेखर ने ‘जीवनपथ दिव्यांग विद्यालय’ खोला है, जहां वह बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देते हैं. इनके द्वारा खोले गए विद्यालय में अब तक हजारों ऐसे बच्चे हैं जो जीवन जीने की राह भूल गए थे, वे आज एक नए सफर पर चल पड़े हैं.अमेठी के तिलोई तहसील के फूला गांव में चंद्रशेखर करीब 20 वर्षों से जीवन ज्योति जीवन पथ विद्यालय चला रहे हैं. चंद्रशेखर शुक्ला भले ही इस दुनिया के रंगों को अपनी आंखों से नहीं देख पा रहे हैं, लेकिन उन्होंने गांव में विद्यालय चलाकर अब तक हजारों बच्चों के जीवन में रोशनी फैलाई है. इनके विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते हैं. दृष्टि बाधित बच्चों को सामान्य ज्ञान से लेकर इतिहास, भूगोल, गणित और हर विषयों के बारे में उच्च स्तर तक की जानकारी उन्हीं की भाषा में पढ़ाई जाती है.1991 में चली गई थी आंखेंचंद्रशेखर बताते हैं कि पारिवारिक झगड़े में कुछ अराजकतत्वों ने उनके ऊपर हमला कर दिया और वर्ष 1991 में उनकी आंखें चली गई. कई बार इलाज करने के बाद भी जब सफलता नहीं मिली तो उन्होंने हार मानने के बजाय कुछ करने की ठानी और दिव्यांग बच्चों के लिए विद्यालय खोला. उनका कहना है कि आज इस विद्यालय से उन्हें बहुत सुकून मिलता है और वह खुद एक पेंशनर होल्डर हैं. वह अपनी पेंशन का हिस्सा इस विद्यालय में लगाकर बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे हैं और उनका यह कदम उनकी अंतिम सांस तक जारी रहेगा..FIRST PUBLISHED : August 28, 2023, 01:14 IST
Source link