Ground Report: मुजफ्फरनगर की वह सीट, जहां 57 साल से जीत को तरस रहे लोकल लीडर, जानिए ‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर क्या माहौल?

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Ground Report: मुजफ्फरनगर की वह सीट, जहां 57 साल से जीत को तरस रहे लोकल लीडर, जानिए 'बटेंगे तो कटेंगे' पर क्या माहौल?

मुजफ्फरनगर : मुजफ्फरनगर ज़िले की मीरापुर सीट इस वक़्त सियासी अखाड़ा बन चुकी है. ये एक ऐसी सीट है, जहां बीते 57 सालों से कोई स्थानीय नेता चुनाव नहीं जीत सका है. यहां मुख्य मुकाबला RLD, समाजवादी पार्टी और BSP के बीच है. ये ऐसी सीट है, जहां कभी जाट-मुस्लिम का समीकरण काम करता है तो कभी दलित-मुस्लिम का समीकरण. जयंत चौधरी ने पाल समाज से आने वाली मिथलेश पाल को टिकट देकर एक नया सियासी प्रयोग किया है… क्या उनका ये दांव काम आएगा? साथ ही बटेंगे तो कटेंगे का मीरापुर में कितना असर है.. जानते हैं मुजफ्फरनगर ज़िले की मीरापुर सीट से इलेक्शन वाला माहौल.

मीरापुर में चार मुख्य पार्टियों ने मुस्लिम समाज को टिकट दिया है. यहां उम्मीदवारों में हैं… आजाद समाज पार्टी से जाहिद हुसैन. बहुजन समाज पार्टी से शाहनजर. समाजवादी पार्टी से सुम्बुल राणा (पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधू). AIMIM से अरशद राणा. एनडीए से लोकदल प्रत्याशी मिथलेश पाल. इसके चलते इस बार देखना ये होगा की यहां का मुस्लिम समाज किसके सिर ताज सजाएगा.

इस विधानसभा सीट पर कुल मतदाता लगभग 3 लाख 25000 हैं, जिसमें सवा लाख के आसपास मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है. मुस्लिम मतदाता ही चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है. एनडीए से लोकदल प्रत्याशी मिथलेश पाल इस मैदान में हैं. जानकार कहते हैं कि अगर मुस्लिम मतदाता बिखर जाता हैं तो उसका सीधा-सीधा फायदा लोकदल प्रत्याशी मिथलेश पाल को मिलेगा, जिसके चलते इस सीट पर उनकी जीत और आसान हो जाएगी.

कभी मोरना के नाम से जाने जाने वाली मीरापुर सीट पर पिछले 57 वर्षों के दौरान 14 विधायक चुने जा चुके हैं. हालांकि इनमें ज्यादातर विधानसभा क्षेत्र के बाहर से थे, यानी क्षेत्र की जनता बाहरी लोगों पर ज्यादा विश्वास करती रही है.

मुजफ्फरनगर के मीरापुर में RLD vs SP? कुछ अहम सवाल…-मुस्लिम वोटों के बंटवारे से किसे होगा फायदा? -मीरापुर उपचुनाव में किसकी चल रही है हवा? -क्या है जनता का मूड, कौन मारेगा मैदान? -40% मुस्लिम वोटरों वाली यह सीट कौन जीत रहा है?-जाट-मुस्लिम समीकरण vs दलित-मुस्लिम समीकरण

मीरापुर की जंग के अहम पहलू– चंदन चौहान के इस्तीफ़े के बाद उपचुनाव. – चंदन चौहान अब बिजनौर से RLD सांसद हैं.– इस सीट पर जाट, मुस्लिम वोट निर्णायक. -RLD, SP और BSP के बीच मुक़ाबला.-मीरापुर में AIMIM के उम्मीदवार भी मैदान में.

सांसद चंदन चौहान ने दोहराया इतिहास- क्यों खाली हुई सीट ?• साल 1996 में संजय चौहान ने समाजवादी पार्टी से मोरना विधानसभा चुनाव का जीता और वह विधायक बने.• इसके बाद 2009 में बीजेपी रालोद गठबंधन से संजय चौहान बिजनौर के सांसद चुने गए. • 2022 में संजय चौहान के बेटे चंदन चौहान मीरापुर से विधायक चुने गए. • 2024 में चंदन चौहान रालोद बीजेपी गठबंधन के तहत बिजनौर लोकसभा से सांसद चुने गए और मीरापुर सीट खाली हुई .

मीरापुर में जातीय समीकरण-कुल वोटर – 3 लाख 25 हज़ार – मुस्लिम वोटर -1 लाख 30 हज़ार ( 40 %) -⁠दलित वोटर – 50 हज़ार( 15.3 %)– जाट मतदाता- 35 हज़ार ( 10.7%) -पाल वोटर – 20 हज़ार ( 6.15%) -सैनी वोटर- 20 हज़ार ( 6.15%) – गुर्जर वोटर – 18 हज़ार (5.5%) – अन्य – 50 हज़ार ( 15.3 %)

Tags: Assembly by election, Assembly bypoll, Assembly elections, Muzaffarnagar news, UP ElectionFIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 11:49 IST

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