बलिया: जिले के रेवती रेलवे स्टेशन को पूर्व की भांति बहाल करने को लेकर लोगों का आंदोलन अब तूल पकड़ रहा है. छात्रों द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन से फिलहाल हजारों लोग जुड़ चुके हैं. इस आंदोलन को लगभग 38 दिन यानी महीने भर से अधिक समय बीत गए लेकिन यह आंदोलन अभी तक समाप्त नहीं हुआ. यह आंदोलन प्रतिदिन अलग-अलग अंदाज में किया जा रहा है. कभी भैंस को रेल मंत्री का प्रतीक बनाकर तो कभी भैंस के आगे बीन बजाकर, कभी अनोखी दिवाली मनाकर तो कभी गोधन कूटकर और अर्धनग्न होकर इस आंदोलन को उग्र रूप दिया जा रहा है.
लगभग लाखों की आबादी इस रेलवे स्टेशन के आंदोलन को समर्थन दे रही है. इतिहास के मुताबिक, “ये वही रेलवे स्टेशन है जहां पर सबसे पहले स्वराज सरकार का गठन हुआ था”. और यही वजह है कि इस स्टेशन का हुलिया बदलने का लोग विरोध कर रहे हैं. लोगों को विरोध प्रदर्शन करते हुए 38 दिन से अधिक हो रहे हैं.
आंदोलन में शामिल आंदोलनकारी महावीर तिवारी फौजी, लक्ष्मण पांडेय, ओम प्रकाश कुंवर मन्नू, रमेश मणिक, पंकज सोनी, मनोज पाल, श्रीभवान यादव और संदीप ओझा ने बताया कि उन लोगों ने 38 वें दिन के प्रदर्शन में रेलवे स्टेशन के पास तालाब में अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया. रेल मंत्री का ध्यान आकर्षित करने का काम किए हैं.
आजादी की दूसरी जंग होगी रेवती रेलवे स्टेशन का आंदोलनकुछ कारणों से 2021 से रेवती रेलवे स्टेशन को हॉल्ट घोषित कर दिया गया है. आंदोलन करने वालों ने कहा कि उनका आंदोलन तभी खत्म होगा जब रेलवे स्टेशन को पूर्व की तरह बहाल कर दिया जाएगा. इस बार ये आर-पार की लड़ाई शुरू हुई है. अभी तो शासन प्रशासन को जगाने का प्रयास किया जा रहा है. यह आजादी की दूसरी जंग होगी जिसमें कई घंटे रेलवे ट्रैक जाम होगा. इसका जिम्मेदार रेलवे विभाग होगा. यहां के लोगों की मानें तो करो या मरो की अंतिम लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.
लाखों की आबादी को प्रभावित कर रहा बंद रेलवे स्टेशन, मर मिटने को तैयार हैं लोगरेवती एक नगर पंचायत है यानी इस रेलवे स्टेशन के बंद होने से सब मिला-जुला कर साढे तीन लाख से अधिक आबादी फिलहाल में प्रभावित है. व्यवसाय के उद्देश्य से शहर में आवागमन का साधन भी बंद पड़ा है. बलिया विरासत में दर्ज इतिहास के मुताबिक, यह जनपद देश को मिली आजादी से 5 वर्ष पहले ही आजादी छीनकर बलिया देश दुनिया में “बागी बलिया” के नाम से प्रख्यात हुआ. यह वही रेलवे स्टेशन है जहां बलिया की प्रथम स्वराज सरकार का गठन हुआ था. आज इस स्टेशन के अस्तित्व को मिटता देख वहां के लोग आंदोलन करने को मजबूर हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई जगह विकास के नाम पर पुरानी चीजों को तोड़ा और नष्ट किया जा रहा है. इससे लोगों के भीतर काफी ज्यादा रोष भी है. लोगों की शिकायत यह भी है कि जब सरकारें इतना कुछ कर रही हैं तो इतने चर्चित जगह के स्टेशन को इस हाल में क्यों रखा गया है.
Tags: Ballia news, Ground Report, Local18FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 23:58 IST