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Govardhan Puja, Diwali 2021: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार दिवाली (Diwali) के अगले दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) की जाती है. इस दिन को अन्नकूट, पड़वा और प्रतिपदा भी कहा जाता है. इस दिन घर के आंगन, छत या बालकनी में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं. इसके बाद 51 सब्ज़ियों को मिलाकर अन्नकूट (Annakoot) बनाकर गोवर्धन बाबा को भोग लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. वैसे ये बात अधिकतर लोग जानते ही हैं और इस त्योहार को धूमधाम से मनाते भी हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है और ये परंपरा कब से और क्यों निभाई जा रही है? आइये आज हम आपको बताते हैं कि गोवर्धन पूजा आखिर किसलिए की जाती है.

ये है गोवर्धन पूजा किए जाने की वजह
मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान इन्द्र ने बृजवासियों से नाराज होकर मूसलाधार बारिश की थी. तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बृजवासियों की मदद की थी और उनको पर्वत के नीचे सुरक्षा प्रदान की थी. तब से ही भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन (Govardhan) के रूप में पूजने की परंपरा है.
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ये है पौराणिक कहानी
त्रेतायुग में बृजवासी इंद्रदेव की पूजा किया करते थे. इसी के चलते एक बार वो पूजा की तैयारियों में व्यस्त थे. ये सब देखकर भगवान श्री कृष्ण ने माता यशोदा से पूछा कि सब लोग किस पूजा की तैयारियां कर रहे हैं? तब माता यशोदा ने उनको बताया कि हम सब इंद्रदेव की पूजा करने की तैयारियां कर रहे हैं. क्योंकि इंद्रदेव वर्षा करते हैं जिसकी वजह से हमें अन्न और हमारी गायों के लिए घास-चारा मिलता है. लेकिन ये सुनकर कृष्ण जी ने कहा कि मईया गाय तो चारा गोवर्धन पर्वत पर चरती हैं तो इसलिए हम सबके लिए वो पर्वत ही पूजनीय होना चाहिए.
भगवान श्री कृष्ण की इस बात को मानते हुए सभी बृजवासियों ने इन्द्रदेव की जगह पर गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना की. जिसको देखकर इंद्रदेव को गुस्सा आ गया और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. वर्षा इतनी ज्यादा हुई जिसने बाढ़ का रूप ले लिया और इसे देख कर बृजवासी बहुत डरने लगे. उस समय भगवान श्री कृष्ण ने लोगों की सुरक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी अंगुली पर उठा लिया. इसके बाद सब बृजवासियों ने अपनी गायों सहित उस पर्वत के नीचे शरण ली.
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ये देखकर इंद्रदेव को और भी ज्यादा गुस्सा आया और उन्होंने वर्षा की गति बहुत ज्यादा तेज कर दी. इस पर श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र को पर्वत के ऊपर जाकर वर्षा की गति को नियंत्रित करने का और शेषनाग को मेड़ बनाकर पर्वत की ओर पानी आने से रोकने का आदेश दिया. इंद्रदेव लगातार रात-दिन सात दिनों तक मूसलाधार वर्षा करते रहे और श्री कृष्ण ने लगातार पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाये रखा. तब इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास गए और उनको पता चला कि श्री कृष्ण कोई साधारण मनुष्य नहीं स्वयं श्री हरि विष्णु के अवतार हैं. इसके बाद इंद्रदेव ने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना  कर उनको भोग लगाया. कहा जाता है कि तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.

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