Govardhan puja 2021 diwali gowardhan parvat parikrama significance and story

admin

Govardhan puja 2021 diwali gowardhan parvat parikrama significance and story



दिवाली महापर्व के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. Govardhan Puja 2021: पांच दिन तक चलने वाले दिवाली महापर्व के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व के जरिये मनुष्य और प्रकृति के बीच का सीधा संबंध भी नजर आता है. गोवर्धन पूजा के पहले पशुपालक अपने जानवरों को सजाते संवारते हैं. खास तौर पर गाय और भैसों को सुंदर तरीके से सजाकर उनकी पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गौमाता को मां गंगा की तरह पवित्र माना गया है. उन्हें मां लक्ष्मी का स्वरुप भी कहा गया है. हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. Govardhan Puja 2021: दिवाली (Diwali) महापर्व के चौथे दिन होने वाली गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का काफी महत्व माना जाता है. इसे अन्नकूट के नाम से भी पहचाना जाता है. इस साल 02 नवंबर को धनतेरस से इस महापर्व की शुरुआत होने जा रही है. 04 नवंबर को दिवाली और उसके अगले दिन 05 नवंबर को गोवर्धन पूजा की जाएगी. दिवाली के एक दिन बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का पूजन भी किया जाता है. इसके अलावा भगवान को 56 भोग लगाने की भी परंपरा है. गोवर्धन पूजा के लिए घरों में गाय के गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजन की परंपरा है.गोवर्धन पूजा के लिए गोवर्धन पर्वत बनाने की मान्यता के साथ इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा (Gowardhan parvat parikrama) भी की जाती है. आखिर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा क्यों की जाती है. इसे लेकर धार्मिक मान्यता प्रचलित है. पौराणिक कथाओं में गोवर्धन पूजा की भी वजह बताई गई है. इनके अनुसार ब्रज पर इंद्र देवता ने जब कुपित होकर घनघोर बारिश की थी तब भगवान श्रीकृष्ण ने तूफान और बारिश से गांववालों की रक्षा करते हुए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर सात दिनों तक उठाकर रखा था. इस वजह से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई.
इसे भी पढ़ें: दिवाली के 5 दिनों में ये पांच चीजें ज़रूर खाएं, मां लक्ष्मी की बनी रहेगी कृपा
इस वजह से होती है गोवर्धन की परिक्रमागोवर्धन पर्वत की परिक्रमा को लेकर धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है. वल्लभ संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले वैष्णवमार्गी अपने जीवन में कम से कम एक बार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करते हैं. यह भी मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी इच्छा को लेकर गोवर्धन पर्वत की अगर परिक्रमा करता है तो उसकी वजह इच्छा पूरी हो जाती है.
इसे भी पढ़ें: धनतेरस से भाईदूज तक दिवाली के ये पांच दिन इस तरह होते हैं सेलिब्रेटएक धार्मिक मान्यता ये भी है कि अगर कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में चारों धाम की यात्रा न कर सके तो उसे एक बार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करना चाहिए. गोवर्धन पूजा वाले दिन अगर कोई व्यक्ति गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करता है तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है. यही वजह है कि गोवर्धन पर्व के मौके पर हजारों श्रध्दालु गिरिराज की परिक्रमा करने के लिए पहुंचते हैं. गोवर्धन की परिक्रमा पूरी करने में लगभग दो दिन लग जाते हैं.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ सेसंपर्क करें.)पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.हमें Facebook, Twitter, Instagram और Telegram पर फॉलो करें.



Source link