गोरखपुर के इमामबाड़े में मौजूद है 300 साल पुराना सोने चांदी की ताजिया, मोहर्रम में 10 दिनों के लिए खुलते है गेट

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गोरखपुर के इमामबाड़े में मौजूद है 300 साल पुराना सोने चांदी की ताजिया, मोहर्रम में 10 दिनों के लिए खुलते है गेट



रजत भट्ट/गोरखपुर. गोरखपुर में कई ऐसे धरोहर मौजूद है जिनकी पहचान अलग-अलग रूप में की जाती है. साथ ही यहां कई ऐसे मंदिर जिनका इतिहास बहुत पुराना है तो कई ऐसे मस्जिद जो काफी पुराने हैं. ऐसे में गोरखपुर के इमामबाड़े में रखें सोने चांदी के बने ताजिया की बात करें तो उसका भी लोग खुब दीदार करते हैं. गोरखपुर के इमामबाड़े में मौजूद आदम कद का ताजिया पूरे दुनिया भर में पहचाना जाता है. आदम कद का यह ताजिया सिर्फ गोरखपुर के इमामबाड़े में ही मौजूद है. साथ ही यहां 300 साल से बाबा रोशन अली शाह की जलाई धुनी आज भी जल रही हैं.

गोरखपुर में बने इस इमामबाड़े की नींव करीब 1717 में रखी गई थी. बताया जाता है कि मियां साहब इमामबाड़े के छठवें वंशज है. उन्होंने बताया कि रोशन अली शाह करीब 1707 में गोरखपुर आए तब उन्होंने इस इमामबाड़े की नीब रखी. उस वक्त आसिफ-उद्दौला का दौर था उसी समय रोशन अली शाह को 15 गांव की जागीर दी गई थी. नवाब आसफ-उद्दौला रोशन अली शाह के कायल हुए. उन्होंने रोशन अली शाह के लिए कुछ करने की इजाजत मांगी. तभी रोशन अली शाह ने इमामबाड़े की विस्तृत तामीर की मांग की थी. तब जाकर नवाब ने इमामबाड़े को बनवाया था.

आसिफुद्दौला ने भेजा था सोने चांदी का ताजिया

इमामबाड़ा गोरखपुर शहर के मियां बाजार क्षेत्र में स्थापित है. रोशन अली शाह की इच्छा के मुताबिक नवाब ने इस इमामबाड़े को करीब 6 एकड़ भूमि भाग पर हुसैन की याद में तामीर करवाई थी. 12 साल तक इसका काम चलता रहा तब जा कर इसको पूरा किया गया. इमामबाड़ा बनने के बाद अवध के नवाब आसिफुद्दौला और उनकी बेगम ने सोने चांदी का ताजिया यहां भेजा था. वही, आज भी इस इमामबाड़े में हजरत सैयद रोशन अली शाह का हुक्का, चिंमटा, खड़ाहूं और बर्तन आज भी मौजूद है. जिन्हें देखने दूरदराज से लोग आते हैं साथ में सोने चांदी की ताजिया देखने के लिए मोहर्रम में लोगों की भीड़ लगती है. इसी बीच 10 दिनों के लिए इसे बस खोला जाता है.
.Tags: Gorakhpur news, Local18, Muharram, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : July 15, 2023, 18:02 IST



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