Gorakhpur News : गीता प्रेस विश्व में रखता है अलग पहचान, 15 भाषाओं में करता है गीता का प्रकाशन

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Gorakhpur News : गीता प्रेस विश्व में रखता है अलग पहचान, 15 भाषाओं में करता है गीता का प्रकाशन



रजत भट्ट/गोरखपुर. गोरखपुर का गीता प्रेस आस्था, सभ्यता का एक प्राचीन उदाहरण है. गोरखपुर मे 10 रुपये के किराये के मकान मे इसकी शुरुआत 1923 में जयदयाल गोयदंका ने की. आज विश्व में इसकी एक अलग पहचान है. गीता प्रेस में गीता ​के अलावा और अन्य धार्मिक पुस्तको का प्रकाशन यहां से किया जाता है. अबतक विभिन्न आकार-प्रकार की गीता की 15 भाषाओं में 16.54 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं. पिछले साल आर्ट पेपर पर नए कलेवर में चार रंगों में सचित्र गीता का प्रकाशन शुरू हुआ, जो अब तक चार भाषाओं- हिंदी, गुजराती, मराठी व अंग्रेजी में पाठकों तक पहुंच चुकी है.गीता प्रेस में छपाई से लेकर बाइंडिंग तक हर जगह लगी हाईटेक मशीने 1 दिन मे लगभग 70 हजार किताबों का प्रकाशन कर देती है.

गीताप्रेस की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक व प्रेरित करने वाली है. लगभग 1921 में कोलकाता में सेठ जी जयदयाल गोयंदका ने गोविंद भवन ट्रस्ट की स्थापना की थी. इसी ट्रस्ट के तहत वहीं से वह गीता का प्रकाशन कराते थे. शुद्धतम गीता के लिए प्रेस को कई बार संशोधन करना पड़ता था. प्रेस मालिक ने एक दिन कहा कि इतना शुद्ध गीता प्रकाशित करवानी है तो अपना प्रेस लगा लीजिए. गोयंदका ने इस कार्य के लिए गोरखपुर को चुना. 1923 में उर्दू बाजार में दस रुपये महीने के किराए पर एक कमरा लिया गया और वहीं से शुरू हो गया गीता का प्रकाशन.धीरे-धीरे गीताप्रेस भवन का निर्माण हुआ. जिसके मुख्य द्वार व लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन 29 अप्रैल 1955 को भारत के तत्कालीन व प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने किया था.शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन करने इस वर्ष चार जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द आए थे.

डिजिटल हुआ गीता प्रेसगीता प्रेस को अब डिजिटल पर कर के पाठकों की सुविधा बढ़ाई जायेगी और इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल बताते हैं कि अब गीता प्रेस डिजिटल के तरफ भी कदम बढ़ा चुका है. साथ ही प्रेस का मुख्य काम धार्मिक ग्रंथों का प्रचार-प्रसार करना है. इसलिए यहां की पुस्तकों को वेबसाइट पर डाला जा रहा है ताकि पाठक वहां से भी पढ़ सकें अभी 100 किताबों को ऑनलाइन डाला जा चुका है जिसे पाठक पढ़ सकते हैं. वहीं किताबों की बिक्री की बात करें तो पिछले साल 87 करोड़ रुपए की किताबें बिकी थी तो इस साल 111 करोड़ की किताबें बिकी हैं.
.Tags: Gorakhpur news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : June 15, 2023, 22:28 IST



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