हाइलाइट्सपश्चिमी उत्तरप्रदेश में इन हर तरफ गुड़ की सोंधी सोंधी खुशबू आ रही है. गुड़ भी अब चीनी के दाम की बराबरी करने पर आमादा है.मेरठ. पश्चिमी उत्तरप्रदेश की पहचान गन्ने और गुड़ से होती है. यहां आजकल हर तरफ गुड़ की सोंधी सोंधी खुशबू आ रही है. कोल्हुओं पर बन रहा गुड़ एशिया की सबसे बड़ी मंडी पहुंचकर देश के अलग-अलग राज्यों और सात समंदर पार भी जाता है. चीनी का रेट आमतौर पर 3500 से 3800 प्रति क्विंटल है. लेकिन गुड़ भी अब चीनी के दाम की बराबरी करने पर आमादा है. एशिया की सबसे बड़ी मंडी का गुड़ अभी 2600 से 2700 सौ रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है. पुराने गुड़ की कीमत तो पैंतीस सौ रुपए प्रति क्विंटल हो गई है.
एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी के तौर पर विख्यात पश्चिमी उत्तरप्रदेश में आजकल सोंधी सोंधी ख़ुशबू की बहार है. यहां कोल्हुओं पर निकलता गन्ने का रस और गुड़ की सुगंध आपको बरबस ही अपनी ओर खींच लेगी. अब वेस्ट यूपी के गुड़ काराबारियों की ज़िन्दगी भी गुड गुड हो गई है. क्योंकि अब पहले जैसी बात नहीं रही. मुज़फ्फरनगर में ओडीओपी में शामिल होने के बाद गुड़ का बाज़ार दिनों दिन तरक्की कर रहा है.
बराबरी पर पहुंची पुराने गुड़ की कीमत
आलम यह है कि चीनी के दाम को पिछाड़ने पर गुड़ आमादा नज़र आता है. एशिया की सबसे बड़ी मंडी में गुड़ अब सत्ताइस सौ रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है जबकि चीनी की कीमत पैंतीस सौ रुपए से अड़तीस सौ रुपए प्रति क्विंटल है. पुराने गुड़ की कीमत तो पैंतीस सौ रुपए प्रति क्विंटल तक हो गई है. प्रदेश सरकार ने गुड़ के महत्व को देखते हुए मुज़फ्फरनगर में इसे एक जनपद एक उत्पाद में शामिल किया है. गुड़ के उत्पादन और गुणवत्ता पर अब लगातार कार्य किया जा रहा है.
पुराने गुड़ की बढ़ गयी खपत
खांडसारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि गुड़ सत्र का शुभारंभ हो गया है. आने वाले दिनों में गुड़ की आवक और तेजी से बढ़ेगी. पदाधिकारी बताते हैं कि कि इस समय पुराना गुड़ 3500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. रेवड़ी और गजक का भी सीजन अब शुरू हो चुका है. ऐसे में पुराने गुड़ की खपत उसमें होने के चलते मांग काफी बढ़ी है. वहीं सहायक चीनी आयुक्त मेरठ सालोक पटेल बताते हैं कि कोल्हू एक छोटा माध्यम है जिससे कोई भी किसान गुड़ बना सकता है जबकि क्रशर का लाइसेंस लेने के बाद खांडसारी राब गुड़ बनता और कईयों को रोज़गार मिलता है. उन्होंने कहा कि मेरठ में भी प्रयास किया जा रहा है कि गुड़ भी ओडीओपी में शामिल हो और प्राथमिकता मिले.
गुड़ के अलग-अलग प्रकार की है खूब डिमांड आपको जानकर हैरत होगी, लेकिन गुड़ के नाम भी कई तरह के होते हैं जैसे चाकू गुड़, गुड़ लड्डू, खुरपा गुड़ भी बनता है. वर्तमान में यहां चाकू गुड़ का भाव इस बार 1650 रुपये प्रति 40 किलो है. गुड़ लड्डू 1580, खुरपा गुड 1450 है. इस बार पुराने गुड के दाम ने पहले ही चीनी की बराबरी कर ली है. पश्चिमी उप्र में गुड बनाने के करीब 10 हजार कोल्हू हैं. जिनमें से करीब 5 हजार मेरठ और हापुड के अलावा बुलंदशहर में हैं. जबकि मुजफ्फरनगर में गुड बनाने के करीब तीन हजार कोल्हू हैं. गुड पश्चिमी उप्र का सबसे बड़ा ग्रामीण उद्योग है. इस उद्योग से करीब 50 हजार लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जुड़़ा हुए हैं. वाकई में अगर गुड़ के दाम और बढ़ेंगे तो किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ जाएगी.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Meerut news, Sugarcane Belt, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : November 11, 2022, 21:56 IST
Source link