गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा ने दुनिया को ये क्या कह दिया! करोड़ों फैंस को बना लिया दीवाना| Hindi News

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Neeraj Chopra Statement: वर्ल्ड चैंपियनशिप के जेवलिन थ्रो फाइनल में भारत के भालाफेंक नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. नीरज चोपड़ा भारत के सर्वकालिक महान खिलाड़ी बन गए हैं. नीरज चोपड़ा ने रविवार की रात बुडापेस्ट में 88.17 मीटर के थ्रो से वर्ल्ड चैंपियनशिप खिताब अपने नाम किया. वह ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले ‘ट्रैक एवं फील्ड’ एथलीट भी हैं. भाला फेंकने के साथ वह अपनी विनम्रता के लिए भी काफी मशहूर हैं. भारत का सर्वकालिक ‘ट्रैक एवं फील्ड’ एथलीट कौन है, इसमें (उनके नाम पर) कोई शक नहीं है, लेकिन चोपड़ा इस बहस में शामिल नहीं होना चाहते.
नीरज चोपड़ा ने अचानक अपने इस बयान से मचा दी सनसनीनीरज चोपड़ा ने कहा, ‘मैं कभी भी ऐसा नहीं कहूंगा, सर्वकालिक महान खिलाड़ी. लोग कहते कि बस वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल की कमी है. मैंने अब यह जीत लिया है लेकिन मुझे अभी काफी चीजें करनी है और मैं उन पर ध्यान लगाऊंगा. मैं ऐसा (सर्वकालिक महानतम) नहीं कहना चाहूंगा.’ नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक स्पर्धा में वर्ल्ड रिकॉर्ड के संदर्भ में बताते हुए कहा, ‘अगर आप सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी कहना चाहते हो तो वह जान जेलेज्नी जैसा एथलीट ही होगा.’
वर्ल्ड चैंपियनशिप ओलंपिक की तुलना में मुश्किल
जेलेज्नी चेक गणराज्य के महानतम भाला फेंक एथलीट हैं, जिनके नाम 98.48 मीटर का वर्ल्ड रिकॉर्ड है. वह तीन ओलंपिक और तीन वर्ल्ड चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. वह चोपड़ा के आदर्श भी हैं. इस 25 साल के भाला फेंक एथलीट को लगता है कि वर्ल्ड चैंपियनशिप ओलंपिक की तुलना में मुश्किल होती है. चोपड़ा ने कहा, ‘ओलंपिक बहुत ही विशेष था और वर्ल्ड चैंपियनशिप बड़ा खिताब है. अगर आप प्रतिस्पर्धा की बात करोगे तो वर्ल्ड चैंपियनशिप हमेशा ओलंपिक से कठिन है. सभी खिलाड़ी के लिए तैयार होकर आते हैं.’
यह जीत खास है
नीरज चोपड़ा ने कहा, ‘काफी लोग भारत से यहां आते हैं और स्थानीय लोगों का समर्थन भी शानदार था. इसलिए यह जीत खास है.’ नीरज चोपड़ा ने अपने साथी किशोर कुमार जेना और डीपी मनु की प्रशंसा की जो शीर्ष आठ में रहने में सफल रहे. चोपड़ा ने कहा, ‘किशोर जेना (पांचवें स्थान पर रहे) और डीपी मनु (छठे स्थान पर रहे) ने भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. हमारी एथलेटिक्स अब आगे बढ़ रही है, लेकिन अभी काफी काम करना होगा. मैंने (भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष) आदिले सर से यहां की ‘मोंडो ट्रैक’ (ट्रैक एवं फील्ड एथलीट के लिए कृत्रिम ट्रैक) के बारे में बात की और उम्मीद करता हूं कि हमारे पास भी भारत में इसी तरह की ट्रैक होगी. हम आगामी वर्षों में इससे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे.’



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