Goa To Eradicate Malaria: भारत के सबसे छोटे राज्य गोवा में साल 2008 में मलेरिया के 9,822 मामले दर्ज किए गए थे और इसके कारण 21 मौतें हुई थीं, लेकिन अब राज्य इस बीमारी को खत्म करने वाले स्टेज में है. टीओआई के मुताबिक राज्य में 2018 से मलेरिया से कोई मौत नहीं हुई है और 2023 से लोकल आबादी में मलेरिया का कोई मामला सामने नहीं आया है.
सिर्फ बाहर से आने वाले लोगों को मलेरियाहालांकि कई लोगों का केस रिकॉर्ड में रखा जा रहा है, जैसे प्रवासियों, खास तौर से ऐसे राज्यों से आने वाले लोग, जहां मलेरिया के मामले काफी ज्यादा है. जब भी बाहर से आने वाले केस डिटेक्ट होते हैं, तब गोवा की डारेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेस उस राज्य के वेक्टर बॉर्न डिजीज के ऑफिसर इंचार्ज को इसकी जानकारी देते हैं.
गोवा में मलेरिया पैरासाइट के आने पर पहराहेल्थ सर्विसेज की डिप्टी डायरेक्टर और नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम की इंचार्ज, डॉ. कल्पना माहात्मे (Dr. Kalpana Mahatme) ने कहा, “ये इसलिए किया जाता है ताकि उस इलाके की जांच की जा सके जहां से वे पलायन कर रहे हैं, मच्छरों के ब्रीडिंग ग्राउंड को खत्म किया जा सके, और आबादी की जांच की जा सके. इससे ये भी सुनिश्चित होता है कि उस क्षेत्र से पलायन करने वाला अगला ग्रुप गोवा में पैरासाइट न लाए.”
ट्रांसमिशन रोकने में कामयाबीडीओटी (Directly Observed Therapy), जो गोवा की एक पहल है, ने मलेरिया फाल्सीपेरम के मामलों में ट्रांसमिशन को रोकने और मौतों पर लगाम लगाने में भी मदद की है. ये पाया गया कि लोग दवा का अपना पूरा कोर्स पूरा नहीं कर रहे थे. इसलिए, गोवा में हेल्थ वर्क्स ये सुनिश्चित करके डीओटी को फॉलो कर रहे हैं ताकि एक मरीज 3 दिनों तक उनके सामने सभी टैब्लेट्स लें.
सालाना केस में गिरावटगोवा की सालाना पैरासाइट इंसिडेंस (API), हर 1,000 लोगों पर टोटल पॉजिटिव केस में भी गिरावट आई है. महात्मे ने कहा, “2023 से, गोवा के लिए एपीआई जीरो रहा है.” उन्होंने कहा कि राज्य ने दक्षिण गोवा के लिए सब-नेशनल कैटेगरी में मलेरिया सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन किया है. उन्होंने कहा, “हमने सभी दस्तावेज जमा कर दिए हैं, और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया था. अब हम सर्टिफिकेशन का इंतजार कर रहे हैं.”
जल मिल सकता है मलेरिया फ्री होने का दर्जाउन्होंने कहा कि नॉर्थ गोवा की तुलना में साउथ गोवा में मलेरिया के मामले हमेशा कम रहे हैं क्योंकि पूर्व में बुनियादी ढांचा परियोजनाएं कम हैं और श्रम का प्रवाह भी कम है. सब-नेशनल मलेरिया इलिमिनेशन का दर्जा हासिल करने के बाद, राज्य को ये सुनिश्चित करने के लिए अपनी कोशिशों को जारी रखना होगा कि मलेरिया इंडिजिनस आबादी में न फैले. इसके बाद वो उत्तर गोवा में बीमारी के सब-नेशनल इलिमिनेशन के सर्टिफिकेशन के लिए अप्लाई करेगा.