घरबार छोड़ बन गए संयासी, साइकिल को बनाया घर, 22 सालों से बिना अन्न खाए हैं जीवित, गजब की इस संत की कहानी

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महराजगंज: हमारा देश एक सांस्कृतिक विरासत और परम्पराओं वाला देश है, जहां अलग–अलग धर्मों के लोग रहते हैं. सनातन धर्म की बात करें तो यह विश्व का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है. इसके साथ ही हमारे देश की बहुसंख्यक आबादी भी इसकी अनुयाई है. सबसे प्राचीन होने के साथ ही सनातन धर्म सबसे अलग भी है, जहां बहुत से लोग अपनी घर और सम्पत्ति छोड़ संयास धारण कर लेते हैं. ऐसे ही एक सन्यासी हैं अरविंद कुमार यादव जो अपनी धन, सम्पत्ति और घर छोड़ संयासी  बनने का संकल्प लिया है. इनके जीवन में एक एक घटना हुई जिसने इन्हें दिव्यांग बना दिया.साइकिल पर ही बना लिया छोटा सा घरसंयासी  बन चुके अरविंद कुमार यादव ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि वो एक अच्छे परिवार से आते हैं और उनके पिता जी एक किसान थे. हालांकि अब उनके माता और पिता दोनों ही इस दुनिया में नहीं रहे. उनका बचपन काफी अच्छा गुजर रहा था. अचानक एक बार उनकी तबियत बिगड़ गई और उन्हें टाइफाइड हो गया. उनके लिए यह बीमारी इतनी घातक हो गई कि उसके बाद से ही वह दिव्यांग हो गए. उन्होंने बताया कि वह बीते बाइस साल से अपना घर छोड़ संयासी  का जीवन जी रहे हैं और देश के अलग–अलग हिस्सों की यात्रा भी कर चुके हैं. उन्होंने अपनी साइकिल पर ही अपना छोटा घर बना लिया है और उसी में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.बाइस सालों से कर रहे हैं यात्राउन्होंने बताया कि बीते दस सालों से वह उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में रह रहे हैं. हालांकि वह मूलरूप से यूपी के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं. वह प्रयागराज, जम्मू, हिमाचल के साथ ही अन्य दूसरे जगहों को यात्रा भी कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि बीते बाइस सालों से उन्होंने अन्न का एक दाना नहीं नहीं खाया है बल्कि वह सिर्फ फल–फूल खाकर ही अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. इनकी खास बात है कि किसी भी मंदिर में वह एक दो दिन से ज्यादा नहीं रुकते हैं और अलग–अलग हिस्सों की यात्रा करते रहते हैं.FIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 13:41 IST

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