घर की शोभा बढ़ाते हैं मुड्डे… बिना मशीन के 24 घंटे में होते हैं तैयार, जानें कीमत

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घर की शोभा बढ़ाते हैं मुड्डे... बिना मशीन के 24 घंटे में होते हैं तैयार, जानें कीमत



अभिषेक माथुर/हापुड़. जिले के मुड्डों की देशभर में अपनी अलग ही पहचान है. पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहे तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर में दूर-दूर से आने वाले पर्यटक यहां के मुड्डों को खरीद कर ले जाते हैं. मुड्डों से न सिर्फ घर की शोभा बढ़ती है, बल्कि वह सस्ते होने के साथ-साथ मजबूत और टिकाऊ भी होते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि एक मुड्डा बनाने में कितनी मेहनत लगती है और कितनी लागत आती है. यदि नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि दिखने में स्टाइलिश यह मुड्डे कितनी मेहनत के बाद तैयार होते हैं.

मुड्डा बनाने वाले कामगारों का कहना है कि दशकों से इनके यहां मुड्डा बनाने का काम होता आ रहा है. पिछली तीन-चार पीढ़ियां भी यही मूड्डा कारोबार को करती रही हैं. बड़े-बुजुर्गों से सीखकर वह भी इस काम में जुट गये हैं. कामगार विजयपाल सिंह बताते हैं कि मुड्डा बनाने में बहुत ही मेहनत लगती है. पहले बांस की लकड़ियों को लाया जाता है. फिर उन्हें एकत्रित करके काटा और छांटा जाता है. इसके बाद रस्सी और फूस की मदद से उन्हें बांधकर तैयार किया जाता है. एक मुड्डा बनाने में पूरा-पूरा दिन लग जाता है.

ये है  मुड्डों की कीमतअगर बात की जाए लागत की, तो मार्केट में मिलने वाले 800 रुपये के मुड्डे में ट्रांसपोर्ट सहित करीब 500 से 600 रुपये तक की लागत आती है. जबकि पूरे दिन की मजदूरी में उन्हें सिर्फ 200 से 250 रुपये ही मिल पाते हैं. विजयपाल ने बताया कि मुड्डा बनाने के इस काम में उनके परिवार के सभी सदस्य पूरे दिन जुटे रहते हैं. उनके चार भाई हैं वह भी मुड्डा बनाने का काम कर रहे हैं.

हाथों से तैयार होते हैं मुड्डेमुड्डा बना रहे एक कामगार ने बताया कि पूरे दिन की मेहनत के बाद सिर्फ एक ही मुड्डा तैयार हो पाता है. इसकी बड़ी वजह ये है कि आज भी इन मुड्डों को बिना किसी मशीन की सहायता के सिर्फ और सिर्फ हाथों से ही तैयार किया जाता है. हाथों से मुड्डा बनाते-बनाते सुबह से शाम हो जाती है, तब कहीं जाकर एक मुड्डा बड़ी मुश्किल से तैयार हो पाता है.

सड़क किनारे करोड़ों कारोबारआपको बता दें कि हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में मुड्डे का बड़ा कारोबार है. कहा जाता है कि ब्रजघाट आने वाले श्रद्धालु गंगा का प्रसाद मानकर इन मुड्डों को यहां से खरीदकर ले जाते हैं. जिसकी वजह से साल भर में करीब करोड़ों रूपये के मुड्डों की बिक्री हो जाती है, लेकिन महंगाई के चलते कामगारों को पूरे दिन की मजदूरी के बाद मात्र 200-250 रुपये ही मिल पाते हैं. जिससे वह अपना व अपने परिवार का गुजारा करते हैं.
.Tags: Hapur News, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 27, 2023, 21:11 IST



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