गोरखपुर. यदि आप दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से 1999 या उससे पहले की डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको अब चार गुना अधिक शुल्क देना पड़ेगा. विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति ने नए शुल्क ढांचे को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत विभिन्न दशकों की डिग्री के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किए गए हैं.
डिग्री लेने के लिए अब चुकाना होगा अधिक शुल्क
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में पहले सभी वर्षों की डिग्री के लिए 500 रुपये का ही शुल्क लिया जाता था. लेकिन, अब 1999 या उससे पहले की डिग्री के लिए 2000 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है. 2000 से 2012 के बीच की डिग्री के लिए 1000 रुपये शुल्क लगेगा. जबकि 2013 और उसके बाद की डिग्री के लिए शुल्क 500 रुपये ही रहेगा. उल्लेखनीय है कि 2013 में तत्कालीन कुलपति प्रो. पीसी त्रिवेदी के कार्यकाल में यह निर्णय लिया गया था कि परीक्षा शुल्क के साथ ही डिग्री का शुल्क भी लिया जाएगा. तभी से डिग्रियां सीधे कॉलेजों को भेजा जाने लगा.
पुरानी डिग्री के लिए आते हैं अधिक आवेदन
कुलपति प्रो. पुनम टंडन ने बताया कि हर साल बड़ी संख्या में 1980 और 1990 के दशक की डिग्री के लिए आवेदन आते हैं. इन डिग्रियों के मूल कागजात से मिलान और प्रक्रिया में काफी समय लगता है. विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की संख्या कम होने के कारण ऐसे आवेदन अक्सर लंबित रह जाते हैं, जिससे छात्रों को डिग्री प्राप्त करने में लंबा समय लग सकता है. ऐसे में दशकों पुरानी डिग्रियों को प्राप्त करने के लिए नए शुल्क ढांचे का निर्धारण किया गया है. जिससे प्रक्रिया को सुचारू बनाने और लंबित आवेदनों के निपटारे में तेजी लाई जा सके. विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि परीक्षा समिति के निर्णय के अनुसार बढ़ा हुआ शुल्क तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.
Tags: Education, Gorakhpur news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 31, 2024, 20:42 IST