चंदौली: गेहूं की खेती में जो पाला लगता है, वह फसल को नुकसान पहुंचाता है. इसका मुख्य कारण है, नमी कम होना. हल्की सिंचाई कर देने से पाले का असर कम हो जाता है. एक केमिकल भी आता है, जिसे पानी में मिलाकर उसका छिड़काव कर देने से भी पाले का असर कम हो जाता है. यह कहना है चंदौली जिले के बसनी गांव निवासी किसान केदार यादव का.
किसान पारंपरिक तरीके से भी निकालते हैं पानी किसान केदार यादव ने लोकल 18 से बताया कि गेहूं में जब पानी लग जाता है और कुछ दिन तक रह जाता है, तो उसे निकालने के लिए पंपिंग सेट की व्यवस्था की जाती है. इसके अतिरिक्त किसान पारंपरिक तरीके (दोलोन) से भी पानी निकालते हैं. पानी निकालने के बाद जिंक सुपर फास्फेट आदि का प्रयोग करते हैं, ताकि पानी सूख जाए. वहीं उन्होंने कहा कि खेतों में नमी ज्यादा होने के कारण फसल पीली होने लगती है. इससे बचाव के लिए जिंक डाला जाता है, जिसके बाद फसल का बचाव हो जाता है.
कृषि विभाग के द्वारा भी दिया जाता है प्रशिक्षण उन्होंने आगे बताया कि कृषि विभाग के द्वारा भी समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे कई किसान लाभान्वित होते हैं. हालांकि फसल की सुरक्षा के लिए कृषि विभाग की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती है. इसका ध्यान किसान को ही रखना होता है कि उसकी फसल में किसी तरह की कोई समस्या न आए.
किसान ने बताया कि गेहूं की बुवाई की सबसे अच्छा समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक का होता है. इसके बाद गेहूं की बुवाई पीछे हो जाती है. जिसके कारण उत्पादन पर असर पड़ता है. समय से बोया गया गेहूं और बाद में बोया गया गेहूं दोनों एक साथ ही पकते हैं लेकिन पहले बोए गए गेहूं से अच्छी पैदावार होती है. इसलिए लेट बुवाई भी की जा सकती है पर उस स्थिति में फायदा भी कम मिलता है.
इस साल होगी अच्छी पैदावार किसान ने कहा कि इस बार गेहूं की पैदावार अच्छी होने की संभावना है, क्योंकि चंदौली जिले में मौसम बहुत अच्छा है. हालांकि आगे प्रकृति क्या करेगी यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन अभी मौसम का जो हाल है, उसे देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि किसानों को लाभ होगा.
Tags: Agriculture, Chandauli News, Local18, News18 uttar pradeshFIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 12:56 IST