Gautam Gambhir: टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर इन दिनों बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी (BGT) में उलझे हुए हैं. लेकिन उनकी निजी जिंदगी में भी समस्याओं की कमी नहीं हैं. गंभीर एक धोखाधड़ी केस में फंसे थे और ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आरोपमुक्त करने के आदेश को खारिज कर दिया था. जिसके बाद गंभीर ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया, जिसका फायदा उन्हें देखने को मिला है. हाई कोर्ट ने उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें नए सिरे से जांच के आदेश दिए गए थे.
क्या था मामला?
यह केस तीन कंपनियों रुद्र बिल्डवेल रियल्टी, एकआर इंफ्रासिटी और यूएम आर्किटेक्चर नाम की तीन कंपनियों के कॉन्ट्रैक्टर्स से जुड़ा हुआ है. साल 2011 में तीनों ने एक हाउसिंग प्रोजेक्ट ‘सेर बेला’ का प्रचार किया था. गंभीर इसके ब्रांड एंबेसडर और निदेशक थे. फ्लैट के खरीददार ने काम देखते हुए जमीन पर मुकदमा किया और सभी के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था.
गंभीर को मिली राहत
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक इस केस की सुनवाई जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने की. उन्होंने सेशन कोर्ट के आदेश पर रोक लगाए हुए साफ किया कि इसके लिए विस्तार में एक आदेश पारित किया जाएगा. बीजीटी के बीच गंभीर की एक टेंशन दूर हो चुकी है.
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22 नवंबर से शुरू होगी सीरीज
गौतम गंभीर के लिए बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी. न्यूजीलैंड से टीम इंडिया की हार गंभीर की कोचिंग पर 0-3 का धब्बा है. 22 नवंबर को दोनों टीमें पर्थ में एक-दूसरे को टक्कर देने उतरेंगी. देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय टीम इस सीरीज में कैसा प्रदर्शन करती है.