रायबरेली. लहसुन एक ऐसी फसल है, जिसका इस्तेमाल हर घर में मसाले के तौर पर किया जाता है. इसकी खेती करना बेहद आसान है. लहसुन की खेती के लिए अच्छी मिट्टी का चुनाव करना बेहद जरूरी है. वैसे लहसुन को लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी बेस्ट मानी है. लहसुन की खेती से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. खास बात यह है कि अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से लहसुन की खेती करें तो उनके लिए लहसुन फायदे का सौदा हो सकता है. परंतु लहसुन की बुवाई करने से पहले किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं कि लहसुन की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय क्या है और किन जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
कृषि के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी कृषि शिवशंकर वर्मा बताते हैं कि लहसुन की बुवाई के लिए अक्टूबर महीना सबसे सही माना जाता है. इस महीने में मौसम में परिवर्तन होने के साथ ही हल्की ठंडक का एहसास होने लगता है. लहसुन की फसल के लिए ठंडा मौसम फायदेमंद माना जाता है. इस दौरान लहसुन की बुवाई करने पर फसल को उगाने के लिए आवश्यकता अनुसार समय मिल जाता है. साथ ही फसल अच्छी तरह से ग्रोथ भी करती है. जिससे पैदावार भी अच्छी होती है.
लहसुन की उन्नत प्रजातियां
लोकल 18 से बात करते हुए शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि लहसुन की ये 3 प्रजातियां यमुना सफेद -3, अग्रीफाउंड व्हाइट ,यमुना सफेद -2) उन्नत प्रजातियां मानी जाती हैं. जो अपनी अधिक पैदावार एवं कई अन्य गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं.
इन बातों का रखें ध्यान1. मिट्टी की तैयारी : लहसुन के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मिट्टी का pH स्तर 6-7 के बीच होना चाहिए. बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए.
2. बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले लहसुन के बीज (कली) का चयन करें. 8-10 ग्राम वजन की कलियां बोने के लिए आदर्श होती हैं. बीज की कीमत ज्यादा होती है, लेकिन अच्छी उपज सुनिश्चित करती है.
3. बुवाई का समय: अक्टूबर से नवंबर के बीच लहसुन की बुवाई करें. अधिक ठंडे या अत्यधिक गर्म मौसम से बुवाई से परहेज करें.
4. बीज की दूरी: लहसुन की कलियों को 10-12 सेमी की दूरी पर लगाएं और पंक्तियों के बीच 15-20 सेमी की दूरी रखें.
5. सिंचाई : लहसुन की फसल को पानी की जरूरत होती है, लेकिन जलभराव से बचें. नियमित अंतराल पर हल्की सिंचाई करें, विशेषकर बुवाई के बाद पहले 30 दिन तक सिंचाई का विशेष ध्यान रखें.
6. उर्वरक प्रबंधन : जैविक खाद का उपयोग करें जैसे कि गोबर की खाद. इसके साथ ही नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें.
7. कीट और रोग नियंत्रण: लहसुन की फसल में सफेद मक्खी और फफूंद का खतरा रहता है. जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें और समय-समय पर फसल की जांच करते रहें.
Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 3, 2024, 18:20 IST