Gabriela Andersen, 1984 Los Angeles Olympics : बात 1984 के ओलंपिक की है. उस ओलंपिक एडिशन का मेजबान लॉस एंजिलिस था. इस ओलंपिक में पहली बार महिलाओं ने मैराथन में हिस्सा लिया था. इससे पहले मैराथन सिर्फ पुरुषों के लिए हुआ करती थी. महिलाओं के मैराथन के ओलंपिक में शामिल होने पर जमकर बवाल हुआ. आलोचकों का कहना था कि महिलाऐं इस खेल के लिए बनी ही नहीं हैं. उनमें इतनी सहनशक्ति नहीं होती. हालांकि, इन सबके बीच महिलाओं ने मैराथन में हिस्सा लिया और दुनिया को दिखाया भी कि वह किसी से कम नहीं हैं और ना ही किसी क्षेत्र में पीछे हैं.
जब 39 साल की जांबाज आलोचकों को दिखाया आईना
ओलंपिक में महिलाओं के शामिल होने की आलोचना कर रहे लोगों को गैब्रिएला एंडरसन ने आईना दिखाया. स्विट्जरलैंड की इस पूर्व महिला एथलीट ने अन्य महिलाओं के साथ 1984 ओलंपिक की मैराथन में हिस्सा लिया. गैब्रिएला एंडरसन ने न सिर्फ मैराथन में हिस्सा लिया, बल्कि अपनी जिद और जूनून के आगे आलोचकों के मुंह पर तमाचा भी मारा. 39 साल की उम्र में उन्होंने ट्रैक पर जो जज्बा दिखाया, उसकी दुनिया आज भी तारीफ करती नहीं थकती. और जो लोग आलोचना करना रहे थे. वही, बाद में सलाम ठोकते नजर आए.
ट्रैक पर दिया अपना बेस्ट
गैब्रिएला एंडरसन ने अपना बेस्ट देते हुए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी किया. हालांकि, वह जीत तो हासिल नहीं कर सकीं, लेकिन अपने जज्बे और जूनून से दुनिया को अपना कायल बना दिया. उनकी जिद को देख स्टेडियम में मौजूद हर एक शख्स हैरान रह गया. खचाखच दर्शकों से भरा स्टेडियम 37वीं नंबर पर मैराथन फिनिश करने वाली खिलाड़ी के लिए पैरों पर खड़ा होकर तालियां बजा रहा था. आखिरी ऐसा हुआ क्या था?
इस जिद ने जीता सबका दिल
दरअसल, जब रेस पूरी करने में गैब्रिएला एंडरसन 100 मीटर पीछे थीं. तभी उन्हें बैचेनी होने लगी. उमस भरी गर्मी में वह थकान महसूस करने लगीं. सपोर्ट स्टाफ ने गैब्रिएला को ट्रैक से हटने के लिए जरूर कहा, लेकिन अगर ऐसा होता तो वह डिसक्वालिफाई हो जातीं. मैराथन पूरी करने की जिद लेकर आईं गैब्रिएला ने सपोर्ट स्टाफ को साइड हटाते हुए और लड़खड़ाते हुए फिनिश लाइन पार की. जैसी ही फिनिश लाइन पार हुई गैब्रिएला वहीं गिर पड़ीं.
जब्जे को हर किसी ने किया सलाम
गैब्रिएला का यह जज्बा देख खेल प्रेमियों से खचाखच भरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा. नजारा देखने लायक था, जब गैब्रिएला के सम्मान में स्टेडियम में मौजूदा हर एक शख्स खड़ा हो गया. वह भले ही 37वें नंबर पर रहीं, लेकिन जिस अंदाज में उन्होंने यह मैराथन पूरी की, उसने आलोचकों के भी मुंह पर ताला लगा दिया.