Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:January 30, 2025, 23:50 ISTNoida News in Hindi: बीते कुछ समय से फुल फर्निश्ड फ्लैट का ट्रेंड बढ़ा है. बिल्डर एक से बढ़कर एक इंटीरियर डिजाइन, सोफा औऱ बेड से लैस फ्लैट की बिक्री करते हैं. इसी के जरिए ये बिल्डर टैक्स चोरी करते हैं.अगर आपका भी है नोएडा में फ्लैट तो हो जाएं सावधान! नोएडा में 21 हजार फ्लैट और 57नोएडा: राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एस-जीएसटी) विभाग ने नोएडा में 21 हजार फ्लैट और 57 बड़े प्लॉट की खरीद-फरोख्त और रजिस्ट्री संबंधी मामलों की जांच शुरू की है. यह कदम संपत्तियों की वास्तविक कीमत छिपाकर जीएसटी चोरी की आशंका के बीच उठाया गया है. विभाग ने इस संबंध में नोएडा प्राधिकरण से पूरी जानकारी मांगी है. प्राधिकरण ने सभी आवश्यक दस्तावेज और ब्योरा उपलब्ध करा दिया है. अब विभाग इन संपत्तियों की खरीद-बिक्री, रजिस्ट्री और अन्य तथ्यों की गहन जांच करेगा.
नोएडा में होती है रजिस्ट्री त्रिपक्षीय प्रिक्रियाआपको बता दें कि नोएडा में संपत्तियों की रजिस्ट्री त्रिपक्षीय प्रक्रिया के तहत होती है, जिसमें बिल्डर, खरीदार और नोएडा प्राधिकरण शामिल होते हैं. रिसेल संपत्तियों के नामांतरण की जिम्मेदारी भी प्राधिकरण की होती है. इसके चलते प्राधिकरण के पास सभी संपत्तियों की खरीद-बिक्री का पूरा ब्योरा नोएडा प्राधिकरण के पास मौजूद होता है. एस-जीएसटी विभाग को यह जानकारी प्राधिकरण के जरिए मिली है.
बिल्डर पर कर चोरी की आशंकाजांच के दायरे में आए मामलों में संपत्तियों की वास्तविक कीमत छिपाकर जीएसटी चोरी करने के आरोप सामने आए हैं. दरअसल, नोएडा में त्रिपक्षीय रजिस्ट्री वाली ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं में संपत्तियों की रजिस्ट्री पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होता है. हालांकि, आरोप है कि बिल्डर फ्लैट और दुकानों की वास्तविक कीमत छिपाकर जीएसटी की चोरी कर रहे हैं. इसके लिए एक ही परियोजना में दो संपत्तियों की कीमत अलग-अलग दर्शाई जाती है.
कई सोसाइटी में बिना रजिस्ट्री के रह रहे हैं लोगप्राधिकरण द्वारा कराए गए सर्वे में यह भी पाया गया कि कई फ्लैट और परियोजनाएं ऐसी हैं जहां बिना रजिस्ट्री के लोग रह रहे हैं. संपत्तियों की दरें सर्किल रेट के आधार पर तय की जानी चाहिए, लेकिन बिल्डरों फ्लैट और दुकानों में लाखों रुपए की सजावट और सुविधाएं जोड़कर उनकी कीमत बढ़ा दी जाती है. हालांकि, रजिस्ट्री के समय इन्हें खरीद-फरोख्त के दस्तावेजों में शामिल नहीं किया जाता, जिससे जीएसटी की चोरी की जाती है. रीसेल संपत्तियों के मामले में भी कीमत कम दर्शाने जैसे मामले मिले. पुरानी बिल्डर परियोजनाओं और विभिन्न सेक्टरों में बने फ्लैटों की रिसेल कीमत भी वास्तविक से कम दर्ज की जाती है. इससे बड़ी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में जीएसटी चोरी की रकम भी बड़ी होती है.
इस तरह होती है GST चोरीप्राधिकरण ने पहले ही एक सर्वे करवाकर ऐसे फ्लैट और परियोजनाओं का ब्योरा तैयार कर लिया है, जहां बिना रजिस्ट्री के लोग रह रहे हैं. इस सर्वे के आधार पर विभाग को संपत्तियों की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा. संपत्तियों की दरें सर्किल रेट के आधार पर तय की जानी चाहिए, लेकिन बिल्डरों द्वारा फ्लैट और दुकानों में लाखों रुपए की सजावट और सुविधाएं जोड़कर उनकी कीमत बढ़ा दी जाती है. हालांकि, रजिस्ट्री के समय इन्हें खरीद-फरोख्त के दस्तावेजों में शामिल नहीं किया जाता, जिससे जीएसटी की चोरी की जाती है.
बिल्डर और बायर्स पर हो सकती है कार्यवाहीएस-जीएसटी विभाग की यह जांच नोएडा में संपत्ति बाजार में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. विभाग द्वारा जांच पूरी होने के बाद दोषी पाए जाने वाले बिल्डरों और खरीदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. इससे न केवल राजस्व की हानि को रोका जा सकेगा, बल्कि संपत्ति बाजार में अनियमितताओं पर भी रोक लगेगी.
Location :Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar PradeshFirst Published :January 30, 2025, 23:50 ISThomeuttar-pradeshबिल्डर ऐसे करते हैं टैक्स चोरी! नोएडा के हजारों फ्लैट की जांच शुरू