Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:February 04, 2025, 16:28 ISTRaebareli: फरवरी के महीने में आम और लीची पर बौर आने लगती है. इस समय इन पेड़ों का ध्यान रखना जरूरी होता है वर्ना कीट और रोग लग जाते हैं जो बहुत नुकसान करते हैं. एक्सपर्ट के बताए ये उपाय करके आप इससे बच सकते हैं….और पढ़ेंX
आम व लीची के पौधों पर मंजर गिरने से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय हाइलाइट्सफरवरी में आम और लीची पर कीट नियंत्रण जरूरी.जैविक कीट नियंत्रण के लिए नीम का तेल उपयोग करें.बौर झड़ने से रोकने के लिए NAA का छिड़काव करें.रायबरेली. फरवरी महीने की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में ये महीना आम और लीची की फसल के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है, क्योंकि इस महीने में आम और लीची पर बौर आना शुरू हो जाते हैं. हालांकि आम और लीची की फसल को लेकर किसान बहुत परेशान रहते हैं, क्योंकि बौर आने के समय से ही इन दोनों फसलों में रोग व कीट लगने का खतरा भी बढ़ जाता है. इसके लिए किसान को अपनी फसल बचाने के लिए कई सावधानियां बरतनी चाहिए, क्योंकि फरवरी से लेकर मार्च तक इन दोनों फसलों का बेहद सावधानीपूर्वक ख्याल रखना पड़ता है.
इस दौरान नहीं रखा ख्याल तो फसल होगी खराबअगर इस दौरान पौधों का ख्याल ना रखा गया तो काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. तो आइए, कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं कि आम और लीची की फसल पर बौर आने के दौरान कौन-सी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. कृषि के क्षेत्र में 10 सालों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के कृषि रक्षा अधिकारी ऋषि चौरसिया ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि आम के साथ ही लीची के पौधे पर फरवरी से मार्च महीने तक बौर आने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
फल भी गिर सकते हैंइस दौरान किसान आम व लीची की फसल का खास ध्यान रखें. साथ ही जब इस पर फलन शुरू हो जाए तो फल गिरने से रोकने के लिए भी कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इस पर रोग लगने पर फल गिरने की समस्या भी बढ़ सकती है. जिससे किसानों को किसी भी नुकसान का सामना न करना पड़े. ऋषि चौरसिया बताते हैं कि बौर यानी कि मंजर आने के समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
1. कीट एवं रोग नियंत्रण
आम में: मंजर आने के समय पाउडरी मिल्ड्यू, थ्रिप्स, माहू (एफिड्स) और फ्लॉवर हॉपर जैसे कीटों का प्रकोप हो सकता है.
0.1% कार्बेन्डाजिम या 0.2% कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें.
नीम का तेल (5 मि.ली./लीटर) का छिड़काव जैविक कीट नियंत्रण के लिए करें.
लीची में: लीची में फल छेदक कीट और पाउडरी मिल्ड्यू मुख्य रूप से नुकसान पहुंचाते हैं.
जैविक उपाय के रूप में ट्राइकोडर्मा या नीम का तेल उपयोग करें.
जरूरत पड़ने पर क्लोरोपायरीफॉस 0.05% या कार्बेन्डाजिम 0.1% का छिड़काव करें.
2. सही सिंचाई प्रबंधन
बौर निकलने के समय अत्यधिक सिंचाई से बचें, क्योंकि अधिक नमी से फफूंद जनित रोग बढ़ सकते हैं.
हल्की सिंचाई करें, लेकिन सूखे की स्थिति में सप्ताह में एक बार हल्की सिंचाई जरूरी है.
3. पोषक तत्वों का संतुलन
बौर को मजबूत करने के लिए फूल आने से पहले पोटाश और फॉस्फोरस युक्त उर्वरक (DAP या सुपर फॉस्फेट) डालें.
फूल बनने के समय बोरॉन और जिंक सल्फेट (0.2% छिड़काव) करने से बौर मजबूत होती है और फल बनने की दर बढ़ती है.
गोबर खाद या वर्मीकंपोस्ट डालें, ताकि मिट्टी में जैविक पोषक तत्व बने रहें.
4. प्रतिकूल मौसम से बचाव
अगर ओलावृष्टि या बारिश का पूर्वानुमान हो तो 2% पोटैशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें, जिससे बौर झड़ने से बचे.
बहुत ठंड में स्मोकिंग (धुआं करना) या पौधों के आसपास घास जलाकर तापमान नियंत्रित करें.
5. बौर झड़ने से रोकने के उपाय
NAA (नेफ्थलीन एसीटिक एसिड) 20 PPM या पोटैशियम नाइट्रेट 1.5% का छिड़काव करें.
फूलों में उचित परागण के लिए मधुमक्खियों का संरक्षण करें.
Location :Rae Bareli,Uttar PradeshFirst Published :February 04, 2025, 16:28 ISThomeagricultureफरवरी में करें आम और लीची पर इसका छिड़काव, कीट रहेंगे दूर, होगी बंपर पैदावार!