Fragrance Relation with Brain: हमें अक्सर दुर्गंध आने पर अजीब लगता है और हम आपना नाक-मुंह सिकोड़ कर उससे दूर भागने लगते हैं. इसी तरह महक आने पर हमें अच्छा लगता है और हम उस खूशबू के करीब जाने की कोशिश करते हैं. लेकिन जरा सोचिए अगर आपको खुशबू या बदबू (दुर्गंध) महसूस होना ही बंद हो जाए तो कैसा लगेगा. सामान्य तौर पर चिकित्सक इसे सेहत से जुड़ी कोई समस्या बताकर आपको दवा दे सकते हैं. लेकिन इसके लिए किसी प्रकार की दवाओं का जरूरत नहीं होती. आपको बता दें कि सूंघने का कनेक्शन दिमाग से है. जी हां, हमारे ब्रेन में ही खुशबू और दुर्गंध का प्रसंस्करण होता है. इस स्थिति को एनोस्मिया कहते हैं.
दरअसल एक स्टडी में पाया गया कि हमारे में दिमाग को किसी भी स्मेल की प्रोसेसिंग पहले से ही होने लगती है. साथ ही ये प्रोसेस रिपीट होता जाता है. दुर्गंध को पहचानने की प्रोसेसिंग सुगंध की प्रोसेसिंग से काफी तेज होती है. इसलिए जब आपके दिमाग कोई प्रॉब्लम होगी तो ऐसे में गंध का पता नहीं चलता. इस तरह की दिक्कतें न्यूरोडिजनेरेटिव डिजीज के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं. ये सबकुछ सोच पर निर्भर करता है कि आपको सबसे पहले सुगंध आती है या दुर्गंध जिसके लिए दिमाग जिम्मेदार है.
स्मेल के सिग्नल तेजएक यूनिवर्सिटी रिसर्चर ये बात सामने आई कि ब्रेन को दुर्गंध के सिग्नल बहुत तेजी से मिलते हैं. इसलिए दर्गंध हमारी नाक तक पहले पहुंचती है. साथ ही ये स्टडी दर्शाती है कि खुशबू या बदबू का अहसास अलग-अलग लेवल पर होता है. फिलहाल जब हमे किसी भी तरह महक आना बंद हो जाती है तो इसे कई जोखिमों का डर बना रहता है. रिसर्चर्स का कहना है कि सेंट्रल नर्व सिस्टम में हर सेंसर सिस्टम अलग-अलग तरीके से काम करते हैं. दिमाग स्मेल, लाइट, साउंड, टेस्ट, प्रेशर और टेम्प्रेचर की समझ को प्रोसेस करता है. इस तरह से हमें प्रत्येक तंत्र की संवेदनशीलता का पता चलता है.
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