अरुण जेटली (Former Finance Minister Arun Jaitley) भारतीय राजनीति और बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में भारत के लिए अतुलनीय योगदान दिया. लेकिन 66 वर्ष की उम्र में वो 24 अगस्त 2019 के दिन दुनिया को अलविदा कह गए. मृत्यु से पहले अरुण जेटली ने लंबे अरसे तक एक गंभीर बीमारी से लड़ाई की, जिसका नाम डायबिटीज (Diabetes disease) है. अगर डायबिटीज को समय पर कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह धीरे-धीरे शरीर को कमजोर बना देती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए 2014 में बैरिएट्रिक सर्जरी भी करवाई थी.
क्या है डायबिटीज की बीमारी? – What is Diabetes?
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में मधुमेह से पीड़ित बड़ी आबादी को पता ही नहीं चलता कि वो डायबिटीज के मरीज बन गए हैं. इस कंडीशन को प्री-डायबिटीज कहा जाता है. सीडीसी के अनुसार, डायबिटीज (मधुमेह) एक क्रॉनिक यानी लंबे समय तक रहने वाली स्वास्थ्य समस्या है, जो शरीर द्वारा खाने को ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करने की प्रक्रिया प्रभावित करती है.
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन कहता है कि हम जो कुछ खाते हैं, शरीर उसे शुगर (ग्लूकोज) में तोड़कर ब्लड (रक्त) में रिलीज कर देता है. जब ब्लड में शुगर (ग्लूकोज) का स्तर ज्यादा बढ़ने लगता है, तो पैंक्रियाज को इंसुलिन हॉर्मोन रिलीज करने का संकेत मिलता है. इंसुलिन कोशिकाओं के द्वारा ग्लूकोज की खपत को तेज करने में मदद करता है. जिससे ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में आ जाता है. लेकिन डायबिटीज के अंदर शरीर में इंसुलिन का उत्पादन अपर्याप्त हो जाता है या फिर शरीर इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील हो जाता है.
ये भी पढ़ें: गर्दिश में सितारे: इस टेस्ट सीरीज के बाद गंभीर बीमारी के शिकार हो गए थे Virat Kohli, दिमाग से लेकर शरीर तक तोड़ देती है ये समस्या
डायबिटीज के प्रकार – Types of diabetes
सीडीसी के मुताबिक, डायबिटीज के चार प्रकार हो सकते हैं. जैसे-
1. टाइप-1 डायबिटीज- मधुमेह के इस प्रकार में इम्यून सिस्टम गलती से इंसुलिन उत्पादन करने वाली पैंक्रियाज की सेल्स को नष्ट करने लगता है. जिससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा बिल्कुल कम या ना के बराबर हो जाती है. आमतौर पर यह समस्या बचपन व किशोरावस्था में देखने को मिलती है. इसलिए इसे जुवेनाइल डायबिटीज (juvenile diabetes) या इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज (insulin-dependent diabetes) भी कहा जाता है.
2. टाइप-2 डायबिटीज- मधुमेह का यह प्रकार सबसे आम है, जिसमें शरीर इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील होकर प्रतिक्रिया करना बंद कर देता है. यह समय के साथ गंभीर होती रहती है.
3. गेस्टेशनल डायबिटीज- इस प्रकार का मधुमेह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में विकसित होता है. इसके कारण शिशु को कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है. गेस्टेशनल डायबिटीज डिलीवरी के बाद चली जाती है, लेकिन भविष्य में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बना रहता है.
4. प्री-डायबिटीज- मधुमेह के इस प्रकार में ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होता है. लेकिन टाइप-2 डायबिटीज कहलाने के लिए काफी नहीं होता. इसके लक्षण काफी आम होते हैं, जिन्हें अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं.
मधुमेह के लक्षण – Symptoms of diabetes
सीडीसी के अनुसार, मधुमेह के कारण शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं. जैसे-
बार-बार पेशाब आना
अत्यधिक भूख लगना
अत्यधिक प्यास लगना
बेवजह वजन घटना
आंखों की रोशनी कमजोर होना
हाथ और पैरों में झनझनाहट होना
थकावट होना
ड्राई स्किन
जख्म ठीक होने की गति धीमी होना
बार-बार संक्रमण होना, आदि
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज के किसी मरीज में डायबिटीज के लक्षण उसके प्रकार व गंभीरता पर निर्भर कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: Actor Irrfan Khan का इस बीमारी से हुआ था निधन, जानिए इसके लक्षण, ऐसे कर सकते हैं बचाव
मधुमेह के कारण हो सकती है ये गंभीर बीमारियां
सीडीसी कहता है कि अगर मधुमेह को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह दूसरी गंभीर बीमारियां विकसित होने का कारण बन सकता है. जैसे-
किडनी के रोग
दिल के रोग
मोटापा
आंखों की रोशनी चले जाना, आदि
डायबिटीज कंट्रोल करने का तरीका
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ए1सी टेस्ट, फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट, ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट, रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट आदि के द्वारा मधुमेह की जांच (Diabetes Tests) होने के बाद बीमारी की गंभीरता के मुताबिक इसका इलाज किया जाता है. जिन लोगों में गंभीर मधुमेह होता है, उन्हें इंसुलिन इंजेक्शन दिए जाते हैं. लेकिन कम गंभीर लोगों में जीवनशैली में बदलाव करके डायबिटीज को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. जैसे-
नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करें.
एक्सरसाइज करें.
धूम्रपान व शराब का सेवन ना करें.
हरी पत्तेदार सब्जियों, साबुत अनाज और फल का सेवन करें.
किसी भी अधिक शुगर वाले फूड का सेवन ना करें.
वजन को संतुलित रखें.
फास्ट फूड और कार्बोनेटेड ड्रिंक का सेवन ना करें.
कम मात्रा में खाना खाएं.
रोजाना 20 से 30 मिनट एक्सरसाइज, योगा आदि का अभ्यास करें.
ब्लड शुगर बढ़ने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें, आदि.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.