प्रयागराज. फूलपुर सीट पर एनडीए जहां केंद्र और प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही है. तो वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन केंद्र व प्रदेश सरकार की विफलताओं के साथ ही पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक (पीडीए) को बड़ा मुद्दा मान रही है. इस सीट पर इंडिया गठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी ने मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी को प्रत्याशी बनाया है. सपा प्रत्याशी इसलिए भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें महज 2723 वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी प्रवीण पटेल ने हराया था. लेकिन इसके 2 साल बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में फूलपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अमरनाथ मौर्या को को लगभग 18 हजार की लीड मिली थी. जिसको लेकर समाजवादी पार्टी के हौसले बुलंद है. तो वहीं कांग्रेस के बागी सुरेश चंद्र यादव का दावा है कि इस सीट पर वह बीजेपी और सपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.
वहीं इस सीट के सियासी समीकरण को अगर देखें तो कुल 4 लाख 07 हजार 366 मतदाता अपना विधायक चुनेंगे. इसमें 2 लाख 23 हजार 560 पुरुष और एक लाख 83 हजार 748 महिला मतदाताओं के साथ ही थर्ड जेंडर के 58 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जातीय समीकरण की अगर बात करें तो इस सीट पर ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में है. खास तौर पर यादव और पटेल मतदाता इस सीट पर जीत हार तय करते हैं. वहीं इस सीट पर मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण भी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
जातीय समीकरण को लेकर यादव और मुस्लिम मतदाता होंगे प्रभावीइस सीट पर जातीय समीकरण की अगर बात करें सबसे ज्यादा करीब 76 हजार यादव मतदाता हैं. मुस्लिम मतदाता करीब 54 हजार, ब्राह्मण मतदाता 38 हजार, कुर्मी मतदाता करीब 32 हजार, पासी मतदाता 45 हजार, चमार मतदाता 35 हजार, बिंद कुशवाहा और मौर्या मतदाता करीब 34 हजार, ठाकुर मतदाता करीब 16 हजार और अन्य मतदाता शामिल हैं. समाजवादी पार्टी यादव और मुस्लिम वोट बैंक के साथ ही दलित वोट बैंक में सेंधमारी को अपने पक्ष में मान रही है.
2723 वोटों के अंतर से हारे थे, फिर उन पर दांव लगाया समाजवादी पार्टी नेसपा प्रत्याशी मोहम्मद मुजतबा सिद्दीकी 2022 के विधानसभा चुनाव के पहले बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी प्रवीण पटेल को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि उन्हें महज 2723 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. यही वजह की एक बार फिर से सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन पर दांव लगाया है. वहीं इस सीट पर चंद्रशेखर आजाद रावण की आजाद समाज पार्टी ने भी मुस्लिम प्रत्याशी शाहिद अख्तर खान को चुनाव मैदान में उतारा है. हालांकि पहले ही सपा से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने के चलते आजाद पार्टी में अब कोई दमखम नजर नहीं आ रहा है.
दलित वर्ग की नाराजगी का खामियाजा सामने आ सकता हैवहीं बीजेपी ने फूलपुर की पूर्व सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे पूर्व विधायक दीपक पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है. दीपक पटेल 2012 में करछना विधानसभा सीट से बसपा के विधायक रह चुके हैं. इसके अलावा उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि भी उनके पक्ष में माहौल बना रही है. वहीं बसपा से जितेंद्र कुमार सिंह ताल ठोंक रहे हैं. हालांकि बसपा द्वारा पूर्व में घोषित प्रत्याशी शिव बरन पासी का टिकट काटकर जितेंद्र कुमार सिंह को टिकट दिए जाने से दलित वर्ग की नाराजगी का भी खामियाजा बसपा को उठाना पड़ सकता है.
छोटे राजनीतिक दल भी वोट कटवा हो सकते हैंहालांकि फूलपुर चुनाव में छोटे राजनीतिक दल भी वोट कटवा साबित हो सकते हैं. ऐसे राजनीतिक दल एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन के प्रत्याशियों की टेंशन भी टाइट कर सकते हैं. छोटे राजनीतिक दलों के प्रत्याशी भी प्रत्याशियों की जीत हार में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं. फूलपुर विधानसभा सीट के इतिहास की अगर बात करें तो परिसीमन से पहले यह विधानसभा सीट झूंसी के नाम से जानी जाती थी. 1974 से 2022 तक हुए 13 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस और जनता दल के प्रत्याशी दो-दो बार चुनाव जीत चुके हैं. जबकि जनता पार्टी,जनता पार्टी सेकुलर और बसपा को एक-एक और समाजवादी पार्टी को कुल चार बार सीट पर जीत मिली है.
Tags: Allahabad election, Allahabad news, Assembly by election, By election, Prayagraj, Prayagraj Latest News, Prayagraj News, Prayagraj News Today, Prayagraj Police, UP politics, UP Politics Big UpdateFIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 19:31 IST