पीलीभीत. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले को बाघों के साथ ही साथ बांसुरी के लिए भी देश-दुनिया में जाना जाता है. बांसुरी को एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत लिस्ट में शामिल किया गया है. पीलीभीत के सैकड़ों परिवार बांसुरी कारीगरी करते हैं. लेकिन एक मजबूत रेल तंत्र के अभाव में इनके मुनाफे पर खासा असर पड़ रहा है.
तराई के जिले पीलीभीत में बांसुरी का उद्योग सदियों पुराना है. शहर के मोहल्ला शेर मोहम्मद और लाल रोड के आस-पास के तमाम मुस्लिम परिवार आज भी अपने पुश्तैनी काम के रूप में बांसुरी उद्योग चला रहे हैं. जानकारों की मानें तो पुराने समय में बांसुरी बनाने वाले कारीगरों की संख्या आज के मुकाबले कई गुना थी, लेकिन समय बीतने के साथ लोगों की रुचि इस काम में कम होती गई. आज कारीगरों की संख्या महज 200-225 के बीच सिमट कर रह गई है. वहीं इसके पीछे का प्रमुख कारण है लगातार बढ़ती लागत और कम मुनाफा.
समय के साथ बढ़ी समस्यातकरीबन तीन दशक से पीलीभीत में बतौर पत्रकार कार्यरत डॉ. अमिताभ अग्निहोत्री बांसुरी उद्योग उत्थान को तमाम प्रयास करते आ रहे हैं. लोकल 18 से बातचीत में डॉ. अमिताभ बताते हैं कि एक समय बांसुरी का लगभग 80 प्रतिशत निर्यात पीलीभीत पर निर्भर था. लेकिन समय बीतने के साथ कई समस्याएं बढ़ने लगी. कच्चा माल मंगाने में लगने वाली लागत सबसे बड़ी समस्या बन कर सामने आई.
असम से आता है निब्बा बांसडॉ. अमिताभ अग्निहोत्री ने बताया कि दरअसल बांसुरी बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाला बांस असम से आता है. बीते कुछ दशकों पहले तक तो पीलीभीत रेलवे स्टेशन मीटर-गेज के ज़रिए असम तक जुड़ा था. गोरखपुर के रास्ते सिल्चर से सीधे पीलीभीत तक बांसुरी बनाने के लिए उपयोग किया जाने वाला निब्बा बांस कम लागत में ही आ जाता था. लेकिन मीटर गेज के बंद होने के साथ ही साथ ही यह तंत्र भी लचर होता गया.
सड़क मार्ग से कच्चा माल मंगाने को मजबूरऐसे में व्यापारी सड़क मार्ग से कच्चा माल मंगाने पर मजबूर हो गए. जो लागत कच्चा माल को ट्रेन से मंगाने में लगती थी वही सड़क मार्ग के चलते कई गुना तक हो गई. पीलीभीत से लखनऊ तक रेल खंड सुचारु हो गया है. लेकिन लंबी दूरी की नियमित ट्रेनें न होने के चलते व्यापारियों के लिहाज से अब भी हालत जस के तस हैं. उम्मीद है ज़िम्मेदार जल्द ही इस दिशा में निर्णय लेंगे.
Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 20:47 IST