feel tired frequent burning itching in private parts get Vitamin D tested immediately | थकान रहती है, बार बार हो रही प्राइवेट पार्ट में जलन-खुजली, तुरंत टेस्ट कराएं Vitamin D

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feel tired frequent burning itching in private parts get Vitamin D tested immediately | थकान रहती है, बार बार हो रही प्राइवेट पार्ट में जलन-खुजली, तुरंत टेस्ट कराएं Vitamin D



पूजा मेहरोत्रा (रिपोर्टर)
सूरज विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत है. भारत में सूरज की रोशनी भरपूर होती है, फिर भी यहां की अधिकांश जनसंख्या विटामिन डी की कमी से जूझ रही है. हालिया रिसर्च के अनुसार, हर 5 में से 1 भारतीय को हड्डियों में विटामिन डी की कमी हो रही है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. 
यह स्थिति केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों में भी विटामिन डी की कमी देखी जा रही है. भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) और एएनवीकेए फाउंडेशन की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि भारत में विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो रही हैं और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं पैदा हो रही हैं. 
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विटामिन डी की कमी से बढ़ रही समस्याएं
विटामिन डी की कमी से हड्डियों का कमजोर होना, गठिया (ऑस्टियोपोरोसिस), थकान जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं. लेकिन इसके अलावा भी विटामिन डी की कमी के कारण सिर दर्द, आंखों की कमजोरी, बालों का झड़ना, बार-बार यूरिन इंफेक्शन, इनफर्टिलिटी और कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर समस्याएं भी सामने आ रही हैं. यदि कोई व्यक्ति इन समस्याओं से जूझ रहा है और अन्य सभी शारीरिक परीक्षण सामान्य आ रहे हैं, तो उसे विटामिन डी टेस्ट जरूर कराना चाहिए.
विटामिन डी की कमी से फेल हो सकता है हार्ट आकाश हेल्थकेयर के ऑर्थोपेडिक और ज्वाइंट्स के हेड, डॉ. आकाश चौधरी के अनुसार, विटामिन डी की कमी से गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं. यहां तक कि सडन कार्डियक अरेस्ट का एक कारण भी शरीर में विटामिन डी की कमी है. इसके अलावा, टाइप-2 डायबिटीज, प्रेगनेंसी में समस्या, इन्फ्लेमेशन और इम्यूनिटी कमजोर होने से लेकर ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है. 
क्यों जरूरी है विटामिन डी का सही स्तर
डॉ. आकाश बताते हैं कि विटामिन डी की कमी से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. मूड स्विंग्स और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी इसके कारण पैदा हो सकती हैं. इसके अलावा, पार्किंसंस और सायकोटिक समस्याएं भी विटामिन डी की कमी से जुड़ी हो सकती हैं. इसलिए सुचारू ढंग से शरीर के काम करने के लिए विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा जरूरी है. 
विटामिन डी के लिए क्या करें?
विटामिन डी के सही स्तर को बनाए रखने के लिए बाहरी गतिविधियों और धूप में समय बिताना जरूरी है. डॉ. आकाश बताते हैं कि अपने आहार में ब्रोकली और मशरूम को शामिल करें, लेकिन ध्यान रखें कि ये दोनों ही सब्जियां धूप में पकी हुई हो. आजकल ज्यादातर सब्जियां बंद कमरे में उगाई जाती हैं, जो विटामिन डी के लिए असरदार नहीं होतीं. इसके अलावा, विटामिन डी के सप्लीमेंट्स का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है. डॉ. आकाश सलाह देते हैं कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को एक महीने में एक डोज और 12 साल से ऊपर के लोगों को दो डोज महीने में लेने चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



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