सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: फर्रुखाबाद में मूर्तिकला की परंपरा सैकड़ों वर्षों से प्रसिद्ध रही है. यहां धातुओं और मिट्टी से बनाई गई विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं न केवल स्थानीय बाजार में, बल्कि प्रदेश के दूर-दराज जिलों तक भी पहुंचती हैं. दुर्गा महोत्सव के अवसर पर इन कारीगरों ने लाखों रुपये का कारोबार किया है. खासतौर पर इस बार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को बड़े आकर्षक तरीके से तैयार किया गया, जिससे इनकी खूब बिक्री हो रही है.
पहले के समय में प्रतिमाओं को प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसे केमिकल से तैयार किया जाता था, जिससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता था और प्रदूषण बढ़ता था. लेकिन फर्रुखाबाद के कारीगरों ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, प्रतिमाओं को बनाने के लिए बांस, नारियल के खोल और मिट्टी का इस्तेमाल किया है. इन हल्की और पर्यावरण के अनुकूल प्रतिमाओं ने ग्राहकों का ध्यान आकर्षित किया है.
लाखों की कमाईकारीगरों के अनुसार, महोत्सव के लिए वे कई हफ्ते पहले से ही प्रतिमाओं का निर्माण शुरू कर देते हैं. इस बार गणपति जी से लेकर मां दुर्गा की विभिन्न प्रतिमाएं बनाई गईं, जिन्हें कानपुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, बरेली और मैनपुरी जैसे शहरों से भक्तों ने ऑर्डर करके मंगवाया. इस दौरान कारीगरों ने अपने कौशल से लाखों रुपये का व्यापार किया.
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प्रतिमाएं कैसे होती हैं तैयार?लोकल 18 से बातचीत में कारीगर अमित प्रजापति ने प्रतिमाएं बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताया. सबसे पहले चिकनी मिट्टी का चयन किया जाता है, जो कम समय में सूख जाती है. इसके बाद, बांस की सहायता से प्रतिमा की संरचना तैयार की जाती है. इस संरचना पर नारियल के खोल और मिट्टी का आवरण चढ़ाया जाता है. मिट्टी के सूखने के बाद, प्राकृतिक रंगों से रंगाई की जाती है और फिर आभूषण और वस्त्रों से प्रतिमा को सजाया जाता है.
Tags: Farrukhabad news, Local18FIRST PUBLISHED : October 3, 2024, 11:26 IST