शानू कुमार, बरेलीः बरेली की स्मृति मिश्रा ने UPSC में देशभर में परचम लहराते हुए चौथी रैंक हासिल की है. स्मृति यूपी के बरेली में पुलिस विभाग के सर्किल 2 की जिम्मेदारी निभाने वाले राज कुमार मिश्रा की बेटी हैं. स्मृति अब आईएएस बन चुकी हैं. वह मूलरूप से प्रयागराज की रहने वाली हैं. वर्तमान में उनके पिता की तैनाती बरेली में है. वह काफी समय से बरेली ही रह रही हैं. स्मृति मिश्रा ने न्यूज 18 लोकल से अपनी सफलता पर विशेष बातचीत की. पहले दो प्रयास में असफल होने के बाद कैसे उन्होंने तीसरे प्रयास में चौथा रैंक प्राप्त किया, उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताया है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय मेहनत, परिवार और भगवान के आशीर्वाद को दिया.
पढ़िए स्मृति मिश्रा से बातचीत के चुनिंदा अंश:
परीक्षा में सोशल मीडिया का लिया था सहारा?मैंने सोशल मीडिया से काफी दूरी बनाकर रखी थी. पूरी तैयारी के समय मैं इन सब से बहुत दूर थी. मैंने फैसला किया था कि तैयारी के दौरान सोशल मीडिया से दूर रहूंगी.
परीक्षा के दौरान कोचिंग से कितनी मदद मिली?कोचिंग प्रिपरेशन के समय जो गैप्स होते हैं, जैसे करंट अफेयर्स, ऑप्शनल की पढ़ाई तो इसमें कोचिंग का साथ मिला. कोचिंग का सहारा हर कोई लेता है.
रिजल्ट आने के दिन कैसा लगा ?जिस दिन रिजल्ट आया, उस दिन बहुत खुशी का माहौल था. पहले तो यकीन ही नहीं हुआ, तो कई बार नाम मिलाया जाता है. रोल नम्बर मिलाया. उसके बाद पापा को कॉल किया और घर में सबको बताया फिर तो लोग खुद बधाई देने लगे. न्यूज चैनल्स पर आने लगा. तो यह अनुभव अनकहा सा होता है.
परिवार से कितना मिला यूपीएससी की तैयारी में सहारा?यूपीएससी की तैयारी पूरा परिवार करता है. अकेले यह सम्भव नहीं हो पाता, और ज़्यादातर निराशा का सामना करना पड़ता है. मां, पिता और भाई ने काफी मोटिवेट किया. भाई हमेशा परीक्षा केंद्र तक ले जाता था.
पहले-दूसरे प्रयास में निराशा हाथ लगी तब मन में क्या चल रहा था?जब 2 बार यूपीएससी क्लियर नहीं हो पाया तो काफी निराशा हाथ लगी थी. लेकिन पहली बार जब नहीं हुआ तो दोबारा तैयारी का फैसला किया. लेकिन जब दूसरी बार भी क्लियर नहीं हुआ तो काफी डिमोटिवेट हुई थी कि अब ब्रेक लगा देना चाहिए. लेकिन तब मेरे सीनियर और फैमिली ने बोला कि एक बार और कोशिश करो, अगर नहीं होता है फिर छोड़ देना.
पिता पुलिस विभाग में हैं, उनका क्या रोल रहा पूरे सफर में?मेरे पिता राज कुमार मिश्रा ने कभी पढ़ाई के लिए प्रेशर नहीं डाला. उन्होंने हमेशा कहा कि जो मन को अच्छा लग रहा है वो करो. कभी कभी रिजल्ट आने के बाद काफी परिवारों में निराशा होती है. कैंडिडेट खाना नहीं खाते हैं, अकेले रहते हैं. हालांकि ऐसा मेरी फैमिली में कभी नहीं हुआ. जब 2 बार क्लियर नहीं हुआ तो परिजनों ने कहा कि रिजल्ट ही तो है, अब आगे एक बार देखो. परिवार के मोटिवेशन की वजह से ही सफलता मिली.
जो बच्चे इस बार UPSC क्लीयर नहीं कर पाए उन्हें क्या कहेंगी?जो क्लिकर नहीं कर पाएं, उन्हें मैं बहुत रिस्पेक्ट देती हूं. इंटरव्यू स्टेज पर कहीं न कहीं लक फेक्टर भी होता है, तो कुछ चीजें हो नहीं हो पाती जो चाहिए होती हैं. लेकिन मेरा उनसे निवेदन है कि कभी अपने ऊपर विश्वास करना न छोड़े. यह परीक्षा द एंड नहीं है.
भाग्य को कितना मानते हैं, क्या सफलता भाग्य से मिली?लक एक बहुत बड़ा फैक्टर होता है और लक भी तभी काम करता है जब आप उसके लिए तैयार होते हो. परीक्षा के दौरान भी कुछ चीजों में लक बहुत बड़ा प्ले करता है.
कैसे करेंगी देश की सेवा और क्या होगी विशेषता ?दो फील्ड मेरे दिल के बहुत करीब हैं. हर महिला सशक्त हो, उनके पास खुद की इनकम हो. उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकूं और दूसरा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट. पर्यावरण के लिए बेहतर कार्य करने पर फोकस रहेगा.
.Tags: Bareilly news, Local18, Success Story, Upsc topper, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : June 23, 2023, 12:46 IST
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