Every third woman across the world has weak bones know the important reason behind this situation | दुनियाभर में हर तीसरी महिला की हड्डियां कमजोर, जानिए इसके पीछे का अहम कारण

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इंसानों की सेहत में 40 साल की उम्र के बाद गिरावट आना शुरू हो जाती है. इस उम्र में महिलाओं में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं, जिनमें ऑस्टियोपोरोसिस भी शामिल है. ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती हैं. इससे हड्डियों के फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है.
हाल में हुए अध्ययन में पता चला है कि हर तीसरी महिला को ऑस्टियोपोरोसिस है. स्टडी में 40 से 60 वर्ष की 300 महिलाओं को शामिल किया गया था. इनमें से 214 महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस की पुष्टि हुई। इनमें से 90% महिलाओं में गंभीर और मध्यम ग्रेड की ऑस्टियोपोरोसिस थी. स्टडी के मुताबिक, महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस होने के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं- उम्र बढ़ना, मेनोपॉज, खराब आहार, धूम्रपान या शराब का अधिक सेवन.ऑस्टियोपोरोसिस में क्या होता है?ऑस्टियोपोरोसिस होने पर हड्डियां कमजोर और खोखली हो जाती हैं. इनमें कैल्शियम और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की कमी हो जाती है. इससे हड्डियों का डेंसिटी कम हो जाती है और वे फ्रैक्चर के लिए अधिक सेंसिटिव हो जाती हैं. ऑस्टियोपोरोसिस से होने वाले फ्रैक्चर सबसे अधिक कूल्हे, कमर और कलाई में होते हैं. इन फ्रैक्चरों के कारण महिलाओं को गंभीर शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज से इलाजऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं। इसमें दवाएं, हारमोनल थेरेपी और एक्सरसाइज शामिल हैं. हाल ही में, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हड्डी विभाग ने ट्रायल के तौर पर 22 मरीजों पर डेनोसुमैव सॉल्ट की मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज की चार थेरेपी दी. इस थेरेपी से मरीजों में ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों में सुधार देखा गया. इसके अलावा, हारमोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी भी ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में प्रभावी मानी जाती है. यह थेरेपी मेनोपॉज के बाद महिलाओं में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों को नियंत्रित करने में मदद करती है.



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