एमए-बीएड और CTET क्वालिफाई विनोद कुमार क्यों बन गया ‘रिक्शावाला’? पढ़ें ये इमोशनल स्टोरी

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एमए-बीएड और CTET क्वालिफाई विनोद कुमार क्यों बन गया 'रिक्शावाला'? पढ़ें ये इमोशनल स्टोरी



हाइलाइट्सपरिवार को मुझे इस उम्मीद थी कि पढ़ाया-लिखाया कि सरकारी नौकरी करके घर की स्थिति सही करूंगा.परीक्षा देने के बाद कभी पेपर लीक तो कभी वैकेंसी आने में देरी तो कभी पेपर निरस्त हो गया.एमए, बीएड करने के बाद भी निराश और मजबूर होकर किराये पर ई रिक्शा चलाना पड़ रहा है.संतकबीरनगर. यूपी के संतकबीरनगर के एक युवक जिसका सपना टीचर बनने का था, उसने बीए एमए  बीएड टेट के साथ ही सिटेट भी क्वालीफाई किया, लेकिन जब नौकरी नहीं मिली, तो घर का खर्चा चलाने के लिए और पिता की बीमारी के साथ ही बहन की शादी के बोझ ने उसे ई रिक्शा चालक बना दिया. जी हां सुनकर अजीब सा लग रहा होगा, अभी तक आपने ग्रेजुएट और बीटेक चाय वाले का नाम तो खूब सुना होगा, लेकिन यूपी के संतकबीरनगर ज़िले मे आपको एक ऐसे युवा बेरोजगार के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बीए, एमए, बीएड, TET. CTET और CCC की परीक्षा पास करने के बावजूद ई रिक्शा चलाने के लिए मजबूर है.
बता दें कि 27 वर्षीय विनोद कुमार गुप्ता जो संतकबीरनगर जिले के भवानीगाड़ा शिवापार, तहसील खलीलाबाद का निवासी है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी हो रही होगी कि इतनी पढ़ाई करने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिली, और जब बेरोजगारी का दंश नहीं झेल पाया, तो उसने परिवार का खर्चा चलाने के लिए किराए पर ई रिक्शा लेकर रोजाना दिहाड़ी पर रिक्शा चलाना शुरु कर दिया.
टीचर बनकर नाम कमाना चाहता था: बेरोजगार युवकउसका कहना है कि वह एक टीचर बनकर नाम कमाना चाहता था, लेकिन काफी प्रयास के बाद ज़ब नौकरी नही मिली तो ई रिक्शा चलाने  का फैसला कर लिया. विनोद कुमार ने बताया कि परिवार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, पिता जी की तबियत लगभग 6 वर्षों से ठीक नही रहता है, उनके दवाई का खर्च, और छोटा भाई मनोज कुमार का एक हाथ फैक्चर है, जो किसी तरह से मजदूरी करता है. एक बहन की शादी  का बोझ भी सर पर आ गया है.
प्राइवेट स्कूल छोड़कर लेना पड़ा रिक्शापरिवार को मुझसे ये उम्मीद थी कि इतना पढ़ाया-लिखाया है तो सरकारी नौकरी करके घर की स्थिति सही  कर लेगा, लेकिन परीक्षा देने के बाद कभी पेपर लिक तो कभी वैकेंसी आने में देरी तो कभी पेपर निरस्त हो जाने से बीए, एमए, बीएड करने के बाद भी आज निराश और मजबूर होकर किराये पर ई रिक्शा चलाना पड़  रहा है. पढ़ाई करने के साथ-साथ छोटे बच्चों को कोचिंग और प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे, लेकिन का खर्चा चलाने के लिए उसे भी छोड़ना पड़ा था, क्योंकि डेढ़ महीने  बाद पैसा मिलता था.
2 महीनों से ई-रिक्शा चलाकर जीवन यापन कर रहा हैविनोद कुमार ने बताया कि वह बीए फ़ैजाबाद यूनिवर्सिटी, एमए हीरालाल रामनिवास स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय से, बीएड प्रेमलता महाविद्यालय मेंहदावल से पास किया, इसके बाद टेट और सिटेट क्वालिफाई किया. नौकरी के लिए काफी प्रयास किया, जबकि शिक्षा विभाग में रिक्त स्थान होने के बाद भी वैकेंशी नहीं निकल रही जिससे, सारी डिग्री धरी की धरी रह जा रही है. उन्होंने बताया कि पिछले 2 महीनों से ई-रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहा है.
लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो पाया. इसके बाद उसने खुद सारे उम्मीदें छोड़कर ई रिक्शा ही चलाना पसंद किया जिससे रोज का मजदूरी मिल जा रहा है. विनोद ने बताया कि अपने ई रिक्शा पर डिग्री इसलिए लिखवाया, क्योंकि ई रिक्शा पर बैठने वाले सवारी हमेशा ई रिक्शा चालक को अनपढ़-गवार समझ कर भाषा का प्रयोग करते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Sant Kabir Nagar News, Unemployment, UP newsFIRST PUBLISHED : August 23, 2022, 22:08 IST



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