अखंड प्रताप सिंह/कानपुरः आयुर्वेद सबसे पुराने चिकित्सा पद्धतियों में से एक है. जिसका लोहा अब एलोपैथ ने भी माना है. कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में 6 महीने चली रिसर्च में यह सामने आया है कि एलर्जी के लिए एलोपैथिक की दवासे ज्यादा मददगार आयुर्वेद की कुछ जड़ी बूटियों से तैयार दवा हुई है. जानिए क्या है यह रिसर्च और किसमें है मददगार.बदलते मौसम ,धूल धक्कड़ और धुएं से अक्सर लोगों को जुखाम और नाक संबंधित इन्फेक्शन और एलर्जी हो जाती है और हर बदलते मौसम में यह समस्या उनको बनी रहती है. वही आगे बढ़कर एलर्जी की समस्या अस्थमा और सीओपीडी में तब्दील हो जाती है. इस समस्या से इजाद पाने के लिए कानपुर मेडिकल कॉलेज में 6 महीने शोध चला और इसका तोड़ निकाला गया है. यह शोध बाल रोग विभाग के प्रोफेसर यशवंत राव ने किया है.इलाज नहीं कर पा रही एलोपैथिक दवाइयांएलर्जी की समस्या से सबसे ज्यादा बच्चे व महिलाएं परेशान रहती हैं. रोजाना बड़ी संख्या में सरकारी अस्पतालों में एलर्जी से पीड़ित मरीज पहुंचते हैं. जिनके इलाज के लिए लिवो सेटिरिज़िन और मोंटेलुकास्ट आदि दवा दी जाती है. यह सिम्टम्स तो कम कर देती हैं लेकिन जड़ से एलर्जी का इलाज नहीं कर पा रही है. जिसका तोड़ अब कानपुर मेडिकल कॉलेज द्वारा निकाला गया है.यह दवा एलोपैथिक से ज्यादा कारगरकानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संजय काला ने बताया कि रुद्रपुर के वैध बी प्रकाश आयुर्वेद के डॉक्टर हैं और वह एलर्जी की दवा देते हैं. उन्होंने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग प्रोफेसर यशवंत राव से संपर्क किया और इस दवा के बारे में बताया प्रोफेसर राव ने साइंटिफिक रूप से इस दवा पर शोध किया. यह शोध जुलाई 2022 से शुरू होकर दिसंबर 2022 तक किया गया जिसमें 4 साल से लेकर 60 वर्ष के लगभग 250 लोगों को शामिल किया गया.जिनको दो समूह में बांटा गया एक पर एलोपैथिक दवाइयां का इस्तेमाल किया गया. वहीं दूसरे समूह पर 20 जड़ी बूटी से बनी दवा का इस्तेमाल किया गया. जिसको इंबो नाम दिया गया था. यह दवा एलोपैथिक से ज्यादा कारगर साबित हुई है. इतना ही नहीं इसके दुष्प्रभाव भी बिल्कुल नहीं है जबकि एलोपैथिक दवाओं के कई दुष्प्रभाव भी सामने आए. वही डॉक्टर संजय काला ने बताया कि शासन से अनुमति के बाद इस दवाई का प्रयोग मरीजों पर किया जाएगा..FIRST PUBLISHED : October 16, 2023, 21:59 IST
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