एक दिन के पशु मेले से सवा महीने तक का सफर, जानिए नौचंदी मेले की शुरुआत से लेकर बदलाव तक की कहानी!

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एक दिन के पशु मेले से सवा महीने तक का सफर, जानिए नौचंदी मेले की शुरुआत से लेकर बदलाव तक की कहानी!

Last Updated:March 27, 2025, 18:36 ISTNauchandi Mela Meerut: मेरठ का ऐतिहासिक नौचंदी मेला, जो 1673 में एक दिन के पशु मेले के रूप में शुरू हुआ था, अब सवा महीने तक चलता है. यह मेला हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है और होली के बाद दूसरे रविवार को शुरू ह…और पढ़ेंX

नौचंदी का मेला, फाइल फोटो.हाइलाइट्समेरठ का नौचंदी मेला 1673 में पशु मेले के रूप में शुरू हुआ था.यह मेला हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है.होली के बाद दूसरे रविवार को नौचंदी मेले की शुरुआत होती है.मेरठ: क्रांति धरा मेरठ में सवा महीने तक चलने वाला ऐतिहासिक नौचंदी मेला (Nauchandi Mela) विश्वभर में अपनी पहचान बना चुका है. इस मेले में विभिन्न प्रकार की किताबें और ऐतिहासिक पहलुओं से जुड़ी जानकारी देखने को मिलती है, जो परीक्षार्थियों से पूछे जाते हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि इस नौचंदी मेले की शुरुआत कैसे हुई. इस बारे में जानने के लिए लोकल-18 की टीम ने नौचंदी परिसर स्थित ऐतिहासिक मां चंडी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पीठाधीश्वर 108 पंडित संजय कुमार शर्मा से खास बातचीत की, जिन्होंने मेले के ऐतिहासिक पहलुओं पर विस्तार से बात की.

पशु मेले से हुई थी शुरुआतमंदिर के मुख्य पुजारी पंडित संजय कुमार शर्मा ने बताया कि शुरुआत में, 1673 में यह मेला एक दिन का पशु मेला हुआ करता था, जिसमें घोड़े, बकरियां और अन्य प्रकार के जानवरों की खरीदारी बड़े पैमाने पर होती थी. मां चंडी देवी की कृपा से यह मेला धीरे-धीरे विस्तारित हुआ, फिर तीन दिन का मेला हुआ और अंत में यह नवरात्रि के दौरान विशेष मेले के रूप में जाना जाने लगा. देशभर से लोग मां चंडी देवी के दर्शन करने आते थे और इस मेले में खरीदारी करते हुए नजर आते थे. 1857 की क्रांति के बाद इस मेले का विस्तार हुआ और अब यह सवा महीने तक चलता है, जिसमें भारत ही नहीं, विदेशों से भी लोग घूमने के लिए आते हैं.

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है मेलाभले ही मेरठ में पूर्व में कई हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए हों, लेकिन नौचंदी मेला परिसर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. यहां एक ओर मां चंडी देवी का मंदिर है, तो दूसरी ओर बाले मियां की मजार स्थित है. दोनों धर्मों के लोग एक-दूसरे के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर शामिल होते हैं.

वर्षों से चली आ रही परंपरायह ऐतिहासिक नौचंदी मेला होली के बाद आने वाले दूसरे रविवार को शुरू होता है. परंपरा के अनुसार उसी रविवार को मेला उद्घाटित होता है. हालांकि, समय के साथ यह मेला अब अपने निर्धारित समय से ज्यादा लंबा चलता जा रहा है. कभी यह मेला नवरात्रि के समय तक ही सीमित होता था, लेकिन अब उद्घाटन के बाद भी मेले की शुरुआत में 15 से 20 दिन का समय लगता है. इस पर मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि प्रशासन को इस मेला के पुराने स्वरूप को पुनः स्थापित करने में सहयोग करना चाहिए, ताकि उद्घाटन के बाद ही लोग मेले का आनंद उठा सकें.
Location :Meerut,Uttar PradeshFirst Published :March 27, 2025, 18:36 ISThomeuttar-pradeshएक दिन के पशु मेले से सवा महीने तक का सफर, जानिए नौचंदी मेले की शुरुआत से….

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