Eating food in black plastic container can increase the risk of heart failure | इस ब्लैक प्लास्टिक कंटेनर में खाना खाने से बढ़ सकता है हार्ट फेलियर का खतरा, नई स्टडी दे रही चौंकाने वाला सबूत!

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Eating food in black plastic container can increase the risk of heart failure | इस ब्लैक प्लास्टिक कंटेनर में खाना खाने से बढ़ सकता है हार्ट फेलियर का खतरा, नई स्टडी दे रही चौंकाने वाला सबूत!



अगर आप भी बाहर के खाने के शौकीन हैं और अक्सर प्लास्टिक कंटेनरों में खाना मंगवाते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. हाल ही में प्रकाशित एक शोध में खुलासा हुआ है कि ब्लैक प्लास्टिक कंटेनरों में रखा खाना खाने से हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन कंटेनरों से माइक्रोप्लास्टिक भोजन में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचते हैं, जिससे आंतों को नुकसान होता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
हाल ही में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि प्लास्टिक टेकेआउट कंटेनरों से भोजन करने का आम तरीका दिल की गंभीर बीमारी, विशेष रूप से कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (CHF) के खतरे को बढ़ा सकता है. यह अध्ययन Sciencedirect.com में प्रकाशित हुआ है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खतरा हमारे आंतों (गट) में माइक्रोप्लास्टिक के प्रवेश से शुरू होता है, जिससे सूजन और सर्कुलेटरी सिस्टम को नुकसान पहुँचता है.
दो चरणों में हुआ अध्ययनशोधकर्ताओं ने इस समस्या की जांच करने के लिए दो चरणों में अध्ययन किया. पहले चरण में, उन्होंने चीन के 3 हजार से अधिक लोगों के खाने के पैटर्न का विश्लेषण किया और पाया कि जो लोग नियमित रूप से प्लास्टिक कंटेनरों से खाना खाते थे, उनमें दिल की बीमारियों का जोखिम ज्यादा था. दूसरे चरण में, उन्होंने चूहों पर प्रयोग किया. चूहों को ऐसे पानी में रखा गया जिसमें ब्लैक प्लास्टिक कंटेनरों से रसायन लीक हुए थे. इस प्रयोग से यह स्पष्ट हुआ कि हाई फ्रीक्वेंसी पर प्लास्टिक के केमिकल्स के संपर्क में आने से चूहों में हार्ट फेलियर के लक्षण विकसित हो गए.
कैसे नुकसान पहुंचाते हैं ये कंटेनरशोध में बताया गया है कि प्लास्टिक कंटेनरों से माइक्रोप्लास्टिक हमारे भोजन में मिल जाते हैं और हमारे आंत तक पहुंच जाते हैं. यह माइक्रोप्लास्टिक आंतों की परत को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे आंतों की दीवार में छिद्र उत्पन्न हो जाते हैं. इसके कारण हानिकारक कण खून के फ्लो में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे सूजन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. यह सूजन सर्कुलेटरी सिस्टम में गहरा प्रभाव डालती है और दिल के काम करने तरीके पर नेगेटिव असर डालती है.
शोधकर्ताओं का क्या कहना?हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट नहीं किया कि प्लास्टिक से कौन से विशेष कैमिकल लीक हो रहे हैं, परंतु उन्होंने यह अवश्य बताया कि आम प्लास्टिक कंपाउंड और गट बायोम में बदलाव के बीच पहले से ही संबंध स्थापित था. इस अध्ययन के परिणाम हमें यह चेतावनी देते हैं कि हमारी खाने की आदतें, विशेषकर प्लास्टिक कंटेनरों के उपयोग से जुड़ी हुई, हमारी सेहत पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकती हैं.
क्या किया जा सकता है?* ग्लास या स्टेनलेस स्टील का उपयोग करें: जब भी संभव हो, प्लास्टिक के बजाय गैर-प्लास्टिक सामग्री के कंटेनरों का उपयोग करें.* प्लास्टिक में गर्म खाना न रखें: गर्म करने से प्लास्टिक में यूज हुए कैमिकल ज्यादा मात्रा में खाने में घुल जाते हैं.* ईको-फ्रेंडली ऑप्शन चुनें: उन रेस्टोरेंट्स को चुनें, जो पर्यावरण के अनुकूल कंटेनर का यूज करते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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