1977 से 1982 तक नीदरलैंड के ईसाई डेमोक्रेट प्रधान मंत्री रहे ड्रीस वैन एग्ट ने अपनी पत्नी के साथ सोमवार को मौत को गले लगा लिया. यह खबर शुक्रवार को द राइट्स फोरम द्वारा पब्लिक की गई. बता दें जिस समय दोनों की मौत हुई दोना के हाथ एक-दूसरे से जुड़े हुए थे. बता दें दोनों की उम्र 93 वर्ष थी। दोनों ने 70 साल से साथ थें. अब यूथेनेसिया से दोनों ने साथ में दूनिया को अलविदा कह दिया है. यह क्या है इसके बारे में पूरी जानकारी आप यहां जान सकते हैं.
डच के पूर्व पीएम ने क्यों लिया यूथेनेसिया
दरअसल, डच के एक्स पीएम ड्रीस और उनकी पत्नी पत्नी यूजिनी वान एग्ट-क्रेकेलबर्ग दोनों की तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी. साथ ही 2019 में, वैन एग्ट को ब्रेन हेमरेज हुआ था जिससे वह कभी रिकवर नहीं कर पाएं. जिसके कारण आखिरकार दोनों ने यूथेनेसिया की मदद से अपने जीवन को खत्म करने का फैसला किया.
क्या है यूथेनेसिया
यूथेनेसिया दो ग्रीक शब्द से मिलकर बना है, जिसका मतलब गुड डेथ होता है. यह एक तरह की प्रैक्टिस है. इसकी मदद से मरीज को इच्छा मृत्यु दी जाती है. इसका इस्तेमाल केवल उसी समय होता है, जब कोई मरीज लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो और उसकी रिकवरी ना हो रही हो.
कैसे दी जाती है इच्छामृत्यू
यूथेनेसिया सोल्यूशन एक बार्बिटुरेट होता है – समान क्लास का ड्रग जिसे जनरल एनेस्थीसिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जब इसे बहुत अधिक खुराक पर किसी को दिया जाता है, तो यह सोल्यूशन बॉडी में पर ना सिर्फ एनेस्थीसिया का इफेक्ट छोड़ता है बल्कि दिल और श्वसन प्रणाली को ठप कर देता है. ऐसे में मरीज की तुरंत मौत हो जाती है.
भारत में यूथेनेशिया लीगल है?
इच्छा मृत्यु को 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत में मंजूरी दी गई है. साथ ही इसके लिए एक गाइडलाइन भी जारी किया गया है. जिसके तहत ही किसी को इच्छा मृत्यु दी जा सकती है. हालांकि भारत में पैसिव यूथेनेशिया लीगल है. यानि की इसमें मरीज का इलाज बंद कर दिया जाता है ताकि उसकी मौत हो सके.