रिपोर्ट – विशाल भटनागर
मेरठ. देश भर में बुराई के प्रतीक रावण को हर साल दहन किया जाता है. मेरठ का दशहरा काफी लोकप्रिय रहा है. असत्य पर सत्य की जीत का जश्न मनाने के लिए दूरदराज़ से लोग यहां पहुंचते हैं. ज़िले भर में जगह-जगह रावण दहन किया जाता है. लेकिन एक प्राचीन मंदिर के मुख्य पुजारी और उनका परिवार कभी रावण दहन नहीं देखता. उनके परिवार में इस तरह की परंपरा चली आ रही है. यही नहीं, मुख्य पुजारी यहां तक कहते हैं कि मेरठ में तो रावण दहन किसी को भी उत्साह से नहीं देखना चाहिए.
मेरठ का एक पुराना मंदिर है बिलेश्वर नाथ. इस मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित हरीश चंद्र जोशी और उनके परिवार में किसी को भी रावण दहन देखना एक तरह से वर्जि है. इसके पीछे कारण बताते हुए छम्ॅै 18 स्व्ब्।स् से जोशी ने कहा, उनके पूर्वज भी रावण दहन नहीं देखते थे क्योंकि रावण ब्राह्मण था. वह भी महाविद्वान, वेद पुराणों का ज्ञाता ब्राह्मण. जोशी के मुताबिक ब्राह्मण होते हुए रावण दहन देखना उनके लिए गलत है इसीलिए वह अपनी परंपरा को निभाते हुए आ रहे हैं. जोशी इसकी एक वजह और भी बताते हैं.
मंदोदरी ने की थी मंदिर की स्थापना!
असल में यह मान्यता भी है कि मेरठ मंदोदरी का मायका था. कहा जाता है कि मंदोदरी ने ही बाबा बिलेश्वर नाथ मंदिर की भी स्थापना कराई थी और वह रोज़ाना यहां बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करती थी. पौराणिक कहानियों के हवाले से बताया जाता है कि यहीं शिव आराधना के बाद मंदोदरी ने रावण जैसे विद्वान को वरदान में अपने पति के रूप में पाया था.
दामाद का दहन देखना उचित नहीं!
इस कथा के हवाले से जोशी कहते हैं रावण मेरठ का दामाद था, तो मेरठ में तो रावण दहन पर किसी को खुश होना ही नहीं चाहिए. जोशी के मुताबिक यह हमारी परंपरा नहीं है कि घर में दामाद का दहन हो और शाक के बजाय उत्सव मनाया जाए. यह भी बताया जाता है जिस सरोवर में मंदोदरी स्नान करने के लिए जाती थी, उसी भैंसाली ग्राउंड पर भव्य रूप से रामलीला मंचन के बाद दशहरे मेले से पहले रावण दहन का भी आयोजन किया जाता है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Dussehra Festival, Meerut newsFIRST PUBLISHED : September 24, 2022, 13:45 IST
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