विशाल भटनागर/मेरठ : पश्चिम बंगाल शारदीय नवरात्रि में विधि विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा की जाती है. जहां बड़े-बड़े विशेष पंडाल लगाए जाते हैं. इसी तरह का नजारा मेरठ सदर स्थित दुर्गाबाड़ी में भी देखने को मिलता है. भले ही परिवार के सदस्य देश भर के किसी कोने में क्यों ना रहे हो. लेकिन शारदीय नवरात्र में दुर्गा पूजा के दौरान पंचमी से शुरू होने वाली पूजा अर्चना में विशेष रूप से सम्मिलित होते हैं.
दुर्गाबाड़ी समिति से ही जुड़े पदाधिकारी गोविंद विश्वास ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि बंगाली परिवारों के लिए दुर्गा पूजा का खास महत्व होता है. आदिकाल से शुरू हुई इस परंपरा में आज भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. आज भी उसी परंपरा के साथ मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है. उन्होंने बताया कि पंचमी में हवन के बाद यह पूजा अर्चना शुरू हो जाती है. जिसमें की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी को विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. वही दशमी के दिन विधि-विधान के साथ सिंदूर खेलते हुए मां की विदाई शोभायात्रा निकाली जाती है.
बंगाल के कारीगर करते हैं मूर्ति का निर्माणमां दुर्गा पूजा के लिए बनने वाली मूर्ति भी बंगाल के कारीगर द्वारा बनाई जाती है. वहीं जो पंडित होते हैं वह भी बंगाल के कोलकाता के होते हैं. इतना ही नहीं मां के शृंगार का सामान भी असली आभूषणों से जुड़ा हुआ होता है. मूर्ति की विशेषता की बात की जाए तो इसमें मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, भगवान कार्तिकेय ,भगवान श्री गणेश की मूर्ति बनाई जाती है. जो मां दुर्गा है वह महिषासुर का वध करते हुए इसमें दिखाई देती है.
क्या है सिंदूर खेला और घुनूची नृत्य?बताते चले कि शारदीय नवरात्रि में मा दुर्गा की पूजा-अर्चना को लेकर बंगाली परिवारों की मान्यता है कि मां भगवती नवरात्रि में मायके आती हैं. ऐसे में उनका भव्य रूप से स्वागत किया जाता है. इस दौरान बंगाली महिलाएं सिंदूर खेला और सिंदूरदान करती हैं. इसको लेकर ये मान्यता है कि पति की आयु बढ़ती है. इसके साथ ही घुनूची नृत्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है. चाहे बंगाली परिवार का कोई सदस्य कहीं नौकरी क्यों ना कर रहा हो, लेकिन पूजा के समय सभी लोग उपस्थित रहते हैं.
.Tags: Ghaziabad News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : October 22, 2023, 21:54 IST
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