Last Updated:March 24, 2025, 19:16 ISTभक्त भागवत, 5 साल के गुरु, ने मजा और आनंद में अंतर बताया. मजा क्षणिक सुख है जबकि आनंद दीर्घकालिक. खाने को पाना कहा, क्योंकि पाना प्रसाद है. वे हरे कृष्ण महामंत्र जपने को प्रेरित करते हैं.दुनिया के सबसे कम उम्र के TEDx स्पीकर बन चुके भक्त भागवत.हाइलाइट्सभक्त भागवत ने मजा और आनंद में अंतर बताया.मजा क्षणिक सुख है, आनंद दीर्घकालिक.भोजन को पाना कहा, क्योंकि पाना प्रसाद है.हम जिस समाज में रहते हैं वहां तमाम ऐसे शब्द बोले जाते हैं, जिन्हें आध्यात्म की नजरिए से देखें तो गलत साबित होते हैं. ऐसा ही दो शब्द हैं ‘मजा और आनंद’. अक्सर लोग दोनों को एक ही शब्द मानते हैं, लेकिन दुनिया के सबसे छोटे ‘गुरुजी’ का तर्क अलग है. बता दें कि, भक्त भागवत, जिन्हें भगवत दास ब्रह्मचारी प्रभु (5 साल) के नाम से जाना जाता है. वे 23 मार्च 2025 को TEDx NIT कुरुक्षेत्र में दुनिया के सबसे कम उम्र के TEDx स्पीकर बन चुके हैं. सोमवार को News18 के स्टूडियो में पहुंचे भक्त भगवान से जब पूछा गया कि मजा और आनंद दोनों में क्या अंतर है? खाना खाते हैं या पाते? इस बारे में भक्त भागवत ने चौंकाने वाले जवाब दिए-
भक्त भागवत को भगवद गीता की गहरी समझ और भक्ति के लिए अपार प्रसिद्धि प्राप्त है.
कौन हैं सबसे छोटे गुरु भक्त भागवात
2019 में जन्में, भक्त भगवत गीता गुरुकुल के छात्र हैं और श्री श्री राधा कृष्ण के समर्पित भक्त हैं. कम उम्र में ही उन्होंने भगवद गीता की गहरी समझ और भक्ति के लिए अपार प्रसिद्धि प्राप्त कर ली है. वे ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी ठाकुर श्रील प्रभुपाद और डॉ. वृंदावन चंद्र दास (गौरांग इंस्टीट्यूट फॉर वैदिक एजुकेशन के संस्थापक) के शिष्य हैं. वर्तमान में भक्त भगवत भगवद गीता के प्रचार में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं. वे कहते हैं Hi-Hello छोड़ो हरे कृष्ण बोलो. वे सबको हरे कृष्ण महामंत्र जपने के लिए प्रेरित करते हैं.
मजा और आनंद में क्या है अंतर
मात्र 5 साल के भक्त भगवान ने बताया कि मजा और आनंद दोनों में बहुत बड़ा अंतर है. दोनों के अर्थ भी अलग हैं. वे कहते हैं कि मजा कुछ ही देर या क्षण में समाप्त हो जाता है. जबकि, आनंद लंबे समय तक रहता है. दूसरे शब्दों में कहते हैं कि, मजा का अर्थ बाहरी सुख जो स्पर्श, गंध, श्रवण, दृष्टि, स्वाद से है. जबकि आनंद का अर्थ किसी असहाय की सहायता करने ,किसी भूखे को भोजन कराने, किसी अनाश्रित को आश्रय देने आदि से है.
खाने और पाने में क्या अंतर
अक्सर लोग को बोलते सुना होगा कि खाना खाना है. लेकिन, भक्त भागवत बताते हैं कि हम भोजन को पाते हैं न कि खाते. क्योंकि, खाते पाप हैं और पाते प्रसाद हैं. इसलिए हमेशा हम सभी को भोजन पाना चाहिए.
भक्त भगवत की आध्यात्मिक परवरिश में उनके माता-पिता, अकाम भक्ति दास (पूर्व में आदित्य शर्मा) और पूज्या साची देवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं.
परिवार और आध्यात्मिक परवरिश
भक्त भगवत की आध्यात्मिक परवरिश में उनके माता-पिता, अकाम भक्ति दास (पूर्व में आदित्य शर्मा) और पूज्या साची देवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उनके छोटे भाई का नाम हरिअंश दास है, और उनके दादा ओमकार हरि दास और दादी परम मोहिनी राधा दासी भी संस्था से जुड़े हुए हैं.
First Published :March 24, 2025, 19:16 ISThomedharmमजा और आनंद दोनों में क्या है अंतर? दुनिया के सबसे छोटे ‘गुरुजी’ ने दिया जबाव