हाइलाइट्सनेहरू ने पंडित लक्ष्मीधर को विवाह विधि के लिए लिखा था खास खतविवाह विधि दोनों धर्म के अनुकूल रखने की बात कही गई इंदिरा गांधी का अंतिम संस्कार हिंदू रीतिरिवाजों से ही हुआअक्सर इंदिरा गांधी के धर्म को लेकर सवाल उठते रहे हैं. हालांकि नेहरू- गांधी परिवार ने हमेशा कहा कि वो हिंदू धर्म से ही ताल्लुक रखते हैं. लेकिन इंदिरा की शादी तो फिरोज गांधी से हुई थी, जो इलाहाबाद के एक पारसी परिवार से थे, तो इस शादी के बाद भी इंदिरा ताजिंदगी कैसे हिंदू धर्म में बनी रहीं. क्या इसका जवाब उनकी विवाह विधि में है, जो खास तरीके से इस तरह कराई गई कि ना तो इंदिरा को धर्म बदलने की जरूरत पड़ी और ना ही फिरोज गांधी को.
नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट फंड में एक तस्वीर लगी है, जिसमें एक खास पत्र को डिस्प्ले किया गया है. दरअसल जब 1942 में इंदिरा और फिरोज की शादी होने वाली थी तो देश में बड़े पैमाने पर इसका विरोध हो रहा था. पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के पास दर्जनों ऐसे पत्र आ रहे थे जिनमें कहा जा रहा था कि नेहरू की बेटी की शादी एक गैर हिंदू से नहीं होनी चाहिए. इस विरोध की वजह यह थी कि नेहरू महात्मा गांधी के बाद देश के दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता थे. उस समय सांप्रदायिक मुद्दे जोरों पर थे.
इन सब बातों को देखते हुए महात्मा गांधी ने तो यह सलाह दी कि इंदिरा गांधी की शादी इलाहाबाद से कराने के बजाय उनके आश्रम से ही कराई जाए. यही नहीं इंदिरा गांधी के विवाह के लिए गांधी जी ने अपने हाथों से एक विवाह विधि भी लिख दी. हालांकि जवाहर लाल नेहरू को लगा कि यह विधि बहुत लंबी हो जाएगी, इसलिए बेहतर है कि वैदिक परंपराओं के आसपास रहा जाए.
(तस्वीर साभार आनंद भवन, इलाहाबाद)
नेहरू ने मशहूर पंडित से विवाह विधि तैयार कराईशादी के पहले नेहरू ने यह तय किया कि इंदिरा की शादी इस तरह हो कि शादी के बाद भी दूल्हा-दूल्हन का धर्म परिवर्तन न हो. यानी शादी के बाद भी इंदिरा गांधी हिंदू बनी रहें और फिरोज गांधी पारसी बनी रहें. नेहरू ने उस समय के मशहूर ज्योतिषविद् पंडित लक्ष्मीधर शास्त्री से कहा कि वे ऐसी विवाह विधि तैयार करें जिसमें दोनों धर्मों के मूल विचार आ जाएं.
नेहरू ने कहा कि चूंकि वैदिक धर्म और पारसी धर्म का उद्गम एक ही है इसलिए समान मूल्य खोजना कठिन नहीं होगा. इसलिए इस तरह की विधि से शादी हुई कि उसे देखकर ऐसा ही लगता है कि वह कोई आम हिंदू परिवार की शादी हो रही है.
क्या पारसी और हिंदू धर्मों का उद्गम एक ही जगह सेपंडित नेहरू ने पंडित लक्ष्मीधर शास्त्री को 16 मार्च 1942 को लिखे पत्र में सलाह दी, ‘विवाह समारोह की खास बात यह है कि यह शादी एक हिंदू और एक गैर हिंदू के बीच हो रही है. महत्व की बात यह है कि पारसी धर्म में बहुत सी विधियां वैदिक धर्म की तरह हैं, क्योंकि दोनों धर्मों का उद्गम एक ही जगह से है. लेकिन फिर भी यह तथ्य सबसे महत्वपूर्ण है कि यह शादी एक हिंदू और एक गैर हिंदू के बीच हो रही है और इसमें यह सुनिश्चित करना है कि शादी के बाद भी वर-वधु अपने-अपने धर्म में बने रहें.
जवाहर लाल नेहरू द्वारा पंडित लक्ष्मीधर शास्त्री को लिखा गया खत. (तस्वीर साभार नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट फंड)
इस शादी के क्या-क्या कानूनी निहितार्थ होंगे, वह अलग विषय है और उनकी मैं यहां चर्चा नहीं कर रहा हूं. लेकिन असली बात यह है कि शादी की विधि इस तरह तैयार की जाए कि वह हिंदू और गैर हिंदू दोनों के लिए अनुकूल हो. एक बात ध्यान रखिए कि यह शादी भविष्य में बनने वाले कानूनों के लिए एक नजीर का काम भी कर सकती है.’
पिता की मर्जी के खिलाफ हिंदू रीति से उनका अंतिम संस्कार कियाजब 1964 में नेहरू की मृत्यु हुई, तो इंदिरा गांधी ने हिंदू रीति-रिवाजों से उनका अंतिम संस्कार करने का फैसला किया. उन्होंने ऐसा नेहरू की वसीयत में स्पष्ट निर्देशों के बावजूद किया कि वह धार्मिक तरीके से अंतिम संस्कार नहीं चाहेंगे. इंदिरा ने इसके विपरीत फैसला किया.पत्रकार नीरजा चौधरी की किताब हाऊ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड में लिखा कि हालांकि इंदिरा जानती थीं कि वह अपने पिता की इच्छा का उल्लंघन कर रही हैं लेकिन राजनेताओं और धार्मिक नेताओं ने उन्हें आश्वस्त किया कि भारत के लोग नेहरू के लिए गैर-धार्मिक अंतिम संस्कार को स्वीकार नहीं करेंगे.
इंदिरा का अंतिम संस्कार हिंदू रीतिरिवाजों से हीजब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, उसके बाद उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीतिरिवाजों से ही हुआ. वो हमेशा मन और कर्म से हिंदू रीतिरिवाजों का पालन करती रहीं. बहुत से लोग अक्सर कहते हैं कि एक पारसी से शादी के करने के कारण गैर हिंदू थीं, लेकिन इंदिरा खुद को हमेशा हिंदू ही मानती रहीं. हालांकि वो एक प्रधानमंत्री के तौर पर सेकूलर भारत की पक्षधर रहीं.
इंदिरा गांधी का पूजा कक्ष20 सालों तक इंदिरा गांधी के डॉक्टर रहे केपी माथुर ने अपनी किताब “द अनसीन इंदिरा गांधी ” में लिखा, इंदिरा गांधी ने आधिकारिक प्रधानमंत्री निवास में एक छोटा सा कमरा पूजा के लिए बना रखा था. अपने इस पूजा कक्ष में वो नियमित तौर पर मैट्स पर बैठकर पूजा अर्चना करती थीं.अक्सर वो प्रधानमंत्री हाउस में हवन भी कराती थीं.
घर में उनके पास एक छोटा सा पूजा कक्ष था. हर दिन, ‘वहां 108 फूल चढ़ाए जाते थे. जब वह जनवरी 1980 में चुनाव जीतीं और 1, सफदरजंग रोड स्थित अपने पुराने घर में लौटीं, तो उन्होंने उस जगह को शुद्ध करने के लिए विस्तृत पूजा-अर्चना की.
Tags: Celebs marriage, Indira Gandhi, Jawaharlal NehruFIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 08:16 IST