अभिषेक माथुर/हापुड़. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में परिषदीय विद्यालयों में रसोई बनाने वाली महिलाओं की दास्तां सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. यहां मिड-डे-मील बनाकर बच्चों का पेट भरने वालीं महिलाएं मात्र 2000 हजार रूपये प्रतिमाह में काम करती हैं. यानि एक दिन का मानदेय 100 रूपये से भी कम. इन महिलाओं का एक दिन का मानदेय मात्र 66 रूपये 69 पैसे है. हैरानी इस बात की भी है कि प्रतिमाह मात्र 2000 रूपये मिलने में भी इन्हें विभागीय प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. ऐसे में करीब छह-छह महीने तक इन्हें रूपये नहीं मिल पाते हैं.
हापुड़ जिले के नगर पालिका में स्थित देवकी कन्या पाठशाला में मिड-डे-मील तैयार करने वाली रसोईया लक्ष्मी सैनी ने कहा कि वह पिछले कई सालों से यह काम कर रही हैं. स्कूल में आने वाले बच्चों को अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाकर परोसती हैं. इसके एवज में उन्हें सिर्फ 2000 रूपये मिलते हैं, जो वर्तमान के हिसाब से काफी कम हैं. ऐसे में उनके घर का न सिलेंडर भर पाता है और ही राशन आ पाता है.
4 महीने से नहीं मिला वेतनलक्ष्मी सैनी ने बताया कि इन 2 हजार रूपये को मिलने में भी आठ-आठ महीने तक गुजर जाते हैं. पिछले आठ महीनों में सिर्फ चार महीने का ही उन्हें वेतन मिल पाया है. ऐसे में स्कूल के बच्चों का तो वह मिड-डे-मील बनाकर पेट भर रही हैं, लेकिन उनके खुद के बच्चे भूखे रह जाते हैं.वहीं, इसी पाठशाला में काम करने वाली रसोईया रानी ने बताया कि आठ महीने में सिर्फ चार महीने के रूपये मिले हैं. ऐसे में उनका खुद का चूल्हा नहीं जल पा रहा है. उनके खुद के बच्चे भूखे रहते हैं. मात्र 2000 रूपये में वह स्कूल में खाना बनाने के अलावा साफ-सफाई भी करके जाती हैं.
क्या है भुगतान में देरी की वजह?बेसिक शिक्षा विभाग की मानें तो रसोईयों को एक वित्तीय वर्ष में 12 महीने में से सिर्फ 10 महीने का ही वेतन दिया जाता है. जिले में करीब 1400 लगभग रसोईयां हैं. जिनका वेतन 2000 रूपये है. इस वित्तीय वर्ष में रसोईयों को दो माह का वेतन दिया जा चुका है, जबकि दो माह के वेतन के लिए पत्रावली की प्रक्रिया चल रही है. यानि कह सकते हैं कि मार्च तक पूरे होने वाले 10 महीने में से चार महीने का वेतन दिया जा रहा है, जबकि छह माह का वेतन इन रसोईयों का बकाया है.
.Tags: Hapur News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 8, 2023, 22:00 IST
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